China need Brahmos Missile Debris: भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में ना सिर्फ पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद की कमर तोड़ी, बल्कि चीन की भी हेकड़ी निकाल दी थी. चीन अपने हथियारों की नुमाइश से कभी नहीं चूकता था, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में चीनी हथियारों की हवा निकल गई. ना तो चीनी मिसाइल कमाल दिखा पाई ना ही चीनी एयर डिफेंस सिस्टम पाक की रक्षा कर पाए. अब भारत की बढ़ी हुई ताकत से चीन चौंका हुआ है और भारतीय हथियारों का सीक्रेट जानना चाह रहा है.
चीन को भारतीय मिसाइलों के मलबे में रुचि
अल्बानी विश्वविद्यालय, स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस क्लेरी ने कहा कि चीन की भारतीय हथियारों के मलबे में भी दिलचस्पी बढ़ गई है. भारत-पाकिस्तान के सिक्योरिटी डायनामिक्स पर नजर रखने वाले क्रिस क्लेरी कहते हैं कि संघर्ष से बरामद ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों, फ्रांसीसी मूल की SCALP-EG क्रूज मिसाइलों और इजरायल निर्मित हारोप लोइटरिंग गोला-बारूद के अवशेष चीन समेत अन्य विरोधी देशों के लिए बहुत रुचिकर हैं.
चीन पता लगाना चाह रहा ताकत का राज
प्रोफेसर क्लेरी ने आईडीआरडब्ल्यू से कहा कि पाकिस्तान और भारत के कुछ हिस्सों में बिखरे इन हमलों के मलबे से चीन तकनीकी विश्लेषण करना चाहता है. ब्रह्मोस, SCALP-EG और हारोप सिस्टम के मलबे से उनके शानदार प्रदर्शन का राज पता लग सकता है. भारत की ताकत को जानने में भारत के साझेदारों जैसे अमेरिका, फ्रांस और इजरायल भी रुचि दिखा रहे हैं.
ब्रहमोस के मलबे में खास दिलचस्पी
प्रोफेसर क्लेरी ने इस बात पर फोकस डाला कि पाकिस्तान को हथियार आपूर्ति करने वाले चीन को ब्रह्मोस के मलबे का विश्लेषण करने में बहुत दिलचस्पी है. ऐसा इसलिए ब्रह्मोस के इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स, स्टेल्थ फीचर्स और टर्मिनल फेज लेथैलिटी को समझा जा सके. ऐसा करने के बाद चीन अपने HQ-9B और HQ-16 वायु रक्षा प्रणालियों के लिए काउंटरमेजर्स डेवलप कर सकता है. बता दें कि ये एयर डिफेंस सिस्टम ब्रह्मोस के आगे फेल हो गए थे.