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रूस-यूक्रेन की जंग में चीन बना 'फूफा', नहीं चाहता युद्ध का अंत! दूसरे की लड़ाई में क्यों 'चौधर' कर रहा ड्रैगन?

Russia Ukraine War China Role: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई में चीन घी डालने का काम कर रहा है. चीन नहीं चाहता कि दोनों देशों के बीच युद्ध रुके. ऐसा इसलिए क्योंकि चीन अपना उल्लू सीधा करना चाहता है. चलिए, जानते हैं कि चीन को आखिर रूस-यूक्रेन की जंग चलते रहने से क्या फायदा है?

रूस-यूक्रेन की जंग में चीन बना 'फूफा', नहीं चाहता युद्ध का अंत! दूसरे की लड़ाई में क्यों 'चौधर' कर रहा ड्रैगन?
  • चीनी विदेश मंत्री के बयान से हंगामा
  • रूस के पक्ष में खड़ा हो गया है चीन

Russia Ukraine War China Role: रूस और यूक्रेन के बीच जंग का दौर जारी है. दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के मुखिया डोनाल्ड ट्रंप भी भडके हुए शोले शांत नहीं कर पाए. दूसरी तरफ, भारत का पड़ोसी देश आग में घी डालने का काम कर रहा है. चीन नहीं चाहता कि रूस और यूक्रेन की जंग रुके. वह लगातार दोनों देशों को भड़काने की कोशिश कर रहा है, ताकि युद्ध बिना किसी ठहराव के निरंतर चलता रहे. लेकिन रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चलते रहने से चीन का क्या फायदा है? चलिए, ये गुत्थी सुलझाते हैं...  

चीनी विदेश मंत्री का बयान
ये बात तो दुनिया जानती है कि चीन पराई आग पर अपनी रोटियां सेकता है. भले भारत-पाक की लड़ाई हो या रूस-यूक्रेन की जंग, चीन हमेशा अपना फायदा ही खोजता है. हाल ही में चीन-ईयू की बैठक हुई, इसमें चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कथित तौर पर दूसरे देशों के प्रतिनिधियों से कहा कि वह (चीन) इस युद्ध में रूस की हार स्वीकार नहीं करेगा.

युद्ध क्यों नहीं रोकना चाह रहा चीन?
SCMP की एक रिपोर्ट में इस वाकये का जिक्र है. सूत्रों के हवाले से लिखा गया कि विदेश मंत्री वांग यी ने 3 जुलाई को यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक काजा कैलास से बातचीत में कहा कि वह रूस को यूक्रेन में युद्ध नहीं हारने देगा, वरना अमेरिका अपना ध्यान चीन पर टिका लेगा और चीन के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. माना जा रहा है कि चीन ताइवान पर हमला बोलने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी कर रहा है. हाल ही में SIPRI की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ कि चीन तेजी से परमाणु हथियार बना रहा है. ऐसे में रूस-यूक्रेन का युद्ध रुका तो अमेरिका का पूरा ध्यान चीन-ताइवान पर होगा. ये ड्रैगन के लिए कठिनाई पैदा करेगा, लिहाजा मुफीद यही है कि अमेरिका यूरोप में ही व्यस्त रहे. 

चीन के दोनों हाथों में लड्डू
चीन दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहता है. एक तरफ तो रूस का खुलकर समर्थन कर रहा है. दूसरी तरफ, अमेरिका का दबदबा कम करने के लिए यूरोपीय देशों से सीक्रेट मीटिंग कर रहा है. हालांकि, चीन के ताजा बयान के बाद यूरोप के देश भी चीन की चालाकी से वाकिफ हो चुके हैं. अब देखना होगा कि यूरोपीय देशों में चीन की घुसपैठ हो पाती है या वह पूरी तरह एक्सपोज हो जाता है.

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