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सावधान! चीन में फिर कोरोना ने मचाया कोहराम, तेजी से फैल रहा वायरस का प्रकोप

कोरोना वायरल को लेकर पूरी दुनिया भले ही बेफिक्र हो चुकी है, लेकिन चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. इसके पीछे आखिर क्या वजह है, इस रिपोर्ट में समझिए..

सावधान! चीन में फिर कोरोना ने मचाया कोहराम, तेजी से फैल रहा वायरस का प्रकोप
  • चीन में बढ़ रहे हैं कोरोना वायरस के मामले
  • फुटपाथ तक लगी हुई है मरीजों की कतार

नई दिल्ली: व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बाद कोविड-19 से जुड़ी बड़ी पाबंदियों को चीन द्वारा वापस लेने के लगभग एक पखवाड़े बाद देश बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस की लहर से जूझ रहा है. वहीं एक चीनी राजनयिक ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों के लिए 'विदेशी ताकतों' को दोषी ठहराया है.

फुटपाथ तक लगी है मरीजों की कतार
चीन के सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में दिखाया गया है कि बीजिंग और कुछ अन्य शहरों में क्लीनिक में मरीजों की भीड़ है और फुटपाथ तक मरीजों की कतार लगी हुई है. लोग कड़ाके की ठंड में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.

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वीडियो में यह भी दिखाया गया है कि कई लोग अपनी कारों में और क्लीनिक के बाहर पार्किंग में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. तेज बुखार वाले लोग क्लीनिक के बाहर इंतजार कर रहे हैं. अधिकांश अपार्टमेंट ब्लॉक में ओमीक्रॉन से संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

'विदेशी ताकतों' द्वारा उठाया गया 'फायदा'
इस वायरस की चपेट में आने से कोई भी बच नहीं पा रहा है. चाहे वे चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी हों, बीजिंग स्थित राजनयिक हों या पत्रकार. इस बीच, चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक ने आरोप लगाया है कि पिछले महीने कोविड-19 रोधी सख्त पाबंदियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन स्थानीय सरकार की महामारी का प्रबंधन करने में विफलता के कारण थे, लेकिन जल्द ही इसका 'फायदा' 'विदेशी ताकतों' द्वारा उठाया गया.

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चीन में सरकार के प्रति बढ़ रहा है आक्रोश
हांगकांग स्थित 'साउथ चाइना मॉर्निंग' पोस्ट में गुरुवार को प्रकाशित खबर के अनुसार बीजिंग, शंघाई, ग्वांगडोंग और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शनों के बाद फ्रांस में चीन के राजदूत लू शाए की टिप्पणी किसी चीनी अधिकारी द्वारा की गई पहली टिप्पणी है. सात दिसंबर को एक स्वागत समारोह में लू द्वारा की गई टिप्पणी चीनी दूतावास की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई.

उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि शुरुआत में, चीनी जनता ने स्थानीय सरकारों द्वारा केंद्र सरकार की नीतियों को पूरी तरह से लागू करने में विफलता के खिलाफ अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया लेकिन जल्द ही विदेशी ताकतों द्वारा विरोध का फायदा उठाया गया.'
(इनपुट: भाषा)

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