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दुनिया की ऐसी खूंखार जनजाति, जहां किसी की भी मौत पर काट देते हैं महिलाओं का खास अंग

यह परंपरा मौत के बाद के दुख और पीड़ा को व्यक्त करने का एक भयावह तरीका है, जिसे जानकर आप चौंक उठेंगे. हालांकि, सरकार व स्थानीय संगठनों इसे रोकने के लिए कई प्रयास किए हैं, जो कारगर भी साबित हुए हैं.

दुनिया की ऐसी खूंखार जनजाति, जहां किसी की भी मौत पर काट देते हैं महिलाओं का खास अंग
  • इंडोनेशिया में रहती है डानी जनजाति
  • सदियों से इस परंपरा का कर रहे पालन

दुनिया भर में कई ऐसी जनजातियां हैं जिनकी अपनी अनूठी और कभी-कभी हैरान करने वाली परंपराएं होती हैं. ऐसी ही एक जनजाति है, इंडोनेशिया के सुदूर जंगलों में रहने वाली 'डानी जनजाति'. यह जनजाति अपनी एक बेहद दर्दनाक और खास प्रथा के लिए जानी जाती है, जहां परिवार में किसी की मौत हो जाने पर महिलाओं के जरूरी अंग उंगलियों को काट दिया जाता है.

'डानी जनजाति' की एक अनूठी परंपरा
इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत में स्थित बालीएम घाटी के ऊबड़-खाबड़ इलाकों में रहने वाली डानी जनजाति अपनी विशेष संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए मशहूर है. यह जनजाति बाहरी दुनिया से काफी हद तक कटी हुई रही है, जिससे इसकी प्राचीन परंपराएं आज भी किसी न किसी रूप में जिंदा हैं. इन्हीं परंपराओं में से एक है उनकी शोक मनाने की बेहद कठोर प्रथा, जिसे 'इकिपालिन' (Ikipalin) के नाम से जाना जाता है.

क्यों काटी जाती हैं महिलाओं की उंगलियां?
डानी जनजाति में, जब परिवार के किसी करीबी सदस्य की मृत्यु हो जाती है. चाहे वह पति हो, बच्चा हो, माता-पिता हो या भाई-बहन, तो उस परिवार की महिलाओं की उंगलियों के ऊपरी हिस्से को काट दिया जाता है. यह प्रथा विशेष रूप से मृतक के प्रति गहरा शोक और शारीरिक पीड़ा को दर्शाने के लिए अपनाई जाती थी.

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इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए, उंगली के हिस्से को पहले कुछ समय के लिए कसकर बांधा जाता है ताकि रक्त प्रवाह रुक जाए और उंगली सुन्न हो जाए. इसके बाद, एक तेज पत्थर के औजार या किसी कुल्हाड़ी से उंगली के सिरे को काट दिया जाता है. कटे हुए हिस्से को सुखाकर या तो जला दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है, या कभी-कभी परिवार के पास ही रखा जाता है.

दर्द और दुख का प्रतीक
डानी जनजाति के लोगों का मानना है कि उंगली काटने का यह कार्य शारीरिक दर्द के माध्यम से भावनात्मक दुख को व्यक्त करने का सबसे चरम तरीका है. उनका मानना है कि यह मृतक की आत्मा को शांति प्रदान करता है और आगे होने वाली मौतों को भी रोकता है.

यह प्रथा इस बात का प्रतीक है कि मृतक के जाने से परिवार को कितना गहरा दुख हुआ है और उनके जीवन में कितना बड़ा खालीपन आ गया है. कटे हुए अंगूठे और उंगलियां उन महिलाओं के शरीर पर दुख और हानि की स्थायी निशानी बन जाती हैं, जो जीवन भर उन्हें उस दर्दनाक घटना की याद दिलाती हैं.

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