Gulf War History: 2 अगस्त, 1990 की सुबह राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के नेतृत्व में इराकी सेना ने पड़ोसी देश कुवैत पर बड़े पैमाने पर सैन्य आक्रमण किया. इसी के साथ खाड़ी युद्ध की शुरुआत हुई.
कुवैत पर आक्रमण शुरू हुआ
2 अगस्त 1990 की सुबह 2 बजे इराकी सेना ने अपने तेल-समृद्ध पड़ोसी, कुवैत पर बड़ा आक्रमण किया. इसने फारस की खाड़ी युद्ध की शुरुआत को चिह्नित किया और पश्चिम एशिया की भू-राजनीति को गहराई से बदल दिया.
इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर अत्यधिक तेल उत्पादन और इराक के रुमैला तेल क्षेत्र से तेल चोरी करने का आरोप लगाकर इस आक्रमण को उचित ठहराया. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इन दावों को व्यापक रूप से खारिज कर दिया.
कई विश्लेषकों ने इस आक्रमण को ईरान-इराक युद्ध से अपने 80 अरब डॉलर के भारी कर्ज को कम करने और कुवैत के विशाल तेल भंडार पर नियंत्रण पाने के लिए इराक द्वारा एक हताश कदम के रूप में देखा, जिससे इराक को दुनिया की ज्ञात तेल आपूर्ति का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा मिल जाता.
US-UK कूदे मैदान में
संयुक्त राष्ट्र ने इस आक्रमण की निंदा की और इराक से तत्काल वापसी को कहा. संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और अन्य देशों ने ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड नामक एक अभियान के तहत इस क्षेत्र में अपनी सेनाएं तैनात करना शुरू कर दिया, जिसका उद्देश्य सऊदी अरब की रक्षा करना और संभावित सैन्य हस्तक्षेप की तैयारी करना था.
अगले कुछ महीनों में कूटनीतिक प्रयास सद्दाम को वापस लौटने के लिए मनाने में विफल रहे. 17 जनवरी, 1991 को अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कुवैत को आजाद कराने के लिए एक व्यापक सैन्य अभियान, ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म शुरू किया.
बता दें कि कुवैत पर आक्रमण ने खाड़ी युद्ध को जन्म दिया, भू-राजनीतिक गठबंधनों का पुनर्गठन किया और पश्चिम एशिया की शक्ति गतिशीलता को स्थायी रूप से बदल दिया. इसने इस क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य भागीदारी के एक लंबे दौर की शुरुआत भी की.
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