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जब इस जगह के लोग खाने लगे थे इंसानों का मांस, रौंगटे खड़े कर देगी ये कहानी!

कुछ समय पहले ही हुई एक रिसर्च में साबित हुआ है कि एक वक्त ऐसा भी था जब इंसान ही इंसानों का मांस खा जाया करते थे. शोधकर्ताओं को इसके कई सबूत भी मिले हैं.

जब इस जगह के लोग खाने लगे थे इंसानों का मांस, रौंगटे खड़े कर देगी ये कहानी!
  • मस्तिष्क भी खा जाते थे लोग
  • 18,000 साल पहले के सबूत

नई दिल्ली: हम सभी ने कम ही ऐसी जनजातियों के बारे में सुना होगा जो इंसान को मार कर खा जाया करती थीं. कुछ मान्यताओं की मानें तो आज भी दुनिया में ऐसी जनजातियां मौजूद हैं, जो इस आधुनिक दुनिया से किसी भी तरह संपर्क में नहीं हैं. ये लोग नरमांस भक्षण करती हैं. हालांकि, पिछले ही दिनों हुई एक नई रिसर्च में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम को ऐसे प्रमाण मिले हैं जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि 18 हजार साल पहले मैग्डालेनियन युग हुआ था, जिसमें मानव समुदाय नरभक्षण करते थे. ये लोग इंसान का मस्तिष्क तक खा जाया करते थे.

मृत्यु के बाद के रिवाज

उत्तरी पुरापाषाण यूरोप में इंसान शिकारी और संग्राहक के रूप में जिंदगी जीते थे. हालांकि, इनकी मृत्यु के बाद के रिवाजों के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं हुई है, लेकिन इस चीज का जरूर अंदाजा लग पाया है कि मैग्डालेनियन संस्कृति में अंतिम संस्कार की कुछ प्रथाएं हुआ करती थीं. शवों से गायब हुईं हड्डियां कई तरह की संभावनाओं की ओर इशारा करती हैं. हालांकि, कुछ भी साफतौर पर तो नहीं पता लग पाया, लेकिन यह अंदाजा जरूर लगाया गया था कि शरीर के कुछ हिस्सों को खासकर अलग कर लिया जाता था.

हड्डियों से बनाते थे गहने

इसके अलावा रिसर्च में यह भी सामने आया कि मैग्डालेनियन युग में इंसानों की हड्डियों से गहने बनाए जाते थे. इतना ही नहीं, ये लोग इंसानी खोपड़ी का कप की तरह इस्तेमाल किया करते थे. ऐसे में इस तरह के संकेत शोधकर्ताओं के बीच परेशानी का कारण बनते जा रहे थे. इस बात पर बहस चलती रही कि हड्डियों पर बने निशान इनकी सफाई करने की वजह से हुए या मांस खाने को तैयार करने की कोशिश में. एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम को पोलैंड में माजीचा नाम की गुफा से मानव हड्डियों के विश्लेषण के ऐसे प्रामाणिक संकेत मिले जो नरभक्षण की तरफ इशारा कर रहे थे.

शुरुआत में दी गईं दलीलें

हालांकि, शुरुआती दलीलों में कहा गया कि इनमें दांतों के निशान नहीं है इसलिए इसे नरभक्षण का संकेत नहीं माना जा सकता. दूसरी ओर नए अध्ययन की मानें तो नए प्रमाण जोड़ने पर पाया गया कि उस समय लोग इंसान का मस्तिष्क तक खा जाया करते थे. इसमें उन हिस्सों को खाने की कोशिश होती थी, जिनमें पोषण हो.

निकला नतीजा

साइंटिफिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने यह भी नतीजा निकाला कि उस दौर में आबादी बढ़ने और उसमें विस्तार होने के कारण भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा होने लगी थी. इस कारण संघर्ष बढ़ा और आखिर बात युद्ध तक पहुंच गई, जिसमें नरभक्षण की परम्पराएं शुरू होने लगीं. इसके तहत या तो लोग अपने ही मृतकों को खा जाया करते थे या फिर वे दुश्मनों के शव खाने लगते थे.

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