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भारत में हर साल कितने iPhone बनते हैं? भूलकर भी इंडिया से पंगा नहीं लेगा Apple; ये है असली वजह

iPhone Market India: भारत Apple प्रोड्क्टस के लिए न केवल एक बड़ा मार्केट है, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए सबसे उपयुक्त देश है. वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, देश भर की कंपनियों को अमेरिका में ही प्लांट लगाने पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, एप्पल के लिए भारत छोड़कर जाना नामुमिकन है. इसकी पीछे असली वजह ये है.

भारत में हर साल कितने iPhone बनते हैं? भूलकर भी इंडिया से पंगा नहीं लेगा Apple; ये है असली वजह

Apple Market in india: भारत तेजी से आईफोन मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है. यह एप्पल की ग्लोबल स्ट्रैटजी का एक अहम हिस्सा है. कंपनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने और सप्लाई चेन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. यही वजह है कि एप्पल भारत में उत्पाद बढ़ाना चाहता है. हालांकि, हाल ही में ट्रंप ने एप्पल को भारत के बजाय अमेरिका में iPhone प्लांट लगाने की बात कही. जिसके बाद देश में एप्पल प्लांट को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ गई. ऐसे में, भारत के पक्ष में ऐसी कई वजहें हैं, जिसके चलते एप्पल भूलकर भी भारत नहीं छोड़ना चाहेगा. आइए पूरा माजरा आसान शब्दों में समझते हैं.

भारत में कितने आईफोन बन रहे हैं?
भारत में हर साल लाखों आईफोन का उत्पादन हो रहा है, और यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक, 2024 के अंत तक भारत में आईफोन का उत्पादन करीब 4.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया था. वहीं, एप्पल का लक्ष्य 2026 तक भारत में सालाना 6 करोड़ से अधिक आईफोन का उत्पादन करना है, जिससे कुल वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर करीब 20% या उससे भी अधिक हो जाएगी. ऐसे में भारत में करीब हर महीने 20 लाख आईफोन बन रहे हैं.

बता दें, भारत में आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग मुख्य रूप से तीन बड़ी कंपनियां करती हैं. फॉक्सकॉन (Foxconn), विस्ट्रॉन (Wistron), और पेगाट्रॉन (Pegatron). फॉक्सकॉन का सबसे बड़ा प्लांट तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है. वहीं, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन के प्लांट कर्नाटक में हैं.

भारत में आईफोन बनाने की सबसे बड़ी वजहें
एप्पल के भारत आने की कई वजहें हैं, जो इसे चीन के मुकाबले कहीं बेहतर ऑप्शन बनाती है.

1.  मैन्युफैक्चरिंग लागत व स्किल्ड इंजीनियर: भारत में मैन्युफैक्चरिंग लागत बेहद कम है और स्किल्ड इंजीनियरों की उपलब्धता अधिक है. अपोलो एकेडमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मैन्युफैक्चरिंग लागत अमेरिका की तुलना में केवल 3% है. वहीं, चीन की तुलना में 70% कम होती है, जिससे भारत एक कॉस्ट इफेक्टिव ऑप्शन बन जाता है.

 2. पर्याप्त सरकारी प्रोत्साहन (PLI स्कीम): भारत सरकार की 'प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव' (PLI) योजना ने कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारी प्रोत्साहन दिए हैं. इस योजना के तहत विनिर्मित सामानों की वृद्धिगत बिक्री पर 4% से 6% का वित्तीय प्रोत्साहन देती है. वहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक, एप्पल के आपूर्तिकर्ताओं ने वित्त वर्ष 2024-25 में 1.5 ट्रिलियन डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक के आईफोन का निर्यात किया है, जो PLI के तहत निर्धारित लक्ष्य से दोगुना है.

3. चीन-अमेरिका तनाव और सप्लाई चेन: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और चीन पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम को कम करने के लिए एप्पल अपनी सप्लाई चेन को बढ़ाना चाहता है. इतना ही नहीं, भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के साथ-साथ, भारत एप्पल के लिए एक बड़ा मार्केट भी है. काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक, पिछले साल भारत में करीब 1.1 करोड़ iPhone बिके, जो एप्पल के कुल मार्केट का  7% था. यही आंकड़ा 2020 में केवल 1% था. 

भारत एप्पल के लिए सबसे बड़ा मार्केट
एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईफोन बिक्री के मामले में भारत इस समय दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा बाजार है और 2026 तक यूके व जापान को पीछे छोड़ते हुए तीसरा सबसे बड़ा आईफोन मार्केट बन सकता है.

वहीं, बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषक वामसी मोहन ने कहा, ‘ 2025 में Apple भारत में 25 मिलियन iPhones बनाएगा, जिनमें से 10 मिलियन भारत में ही बिकेंगे और बाकी अमेरिका भेजे जाएंगे.’ यानी भारत में बना हर दूसरा iPhone अमेरिका भेजा जाएगा.

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