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क्या Apache वाकई में है 'हवाई टैंकों का किंग'? जानें दुनिया के घातक हेलीकॉप्टरों से कितनी आगे है अमेरिकी ताकत

Apache helicopter competitors: हाल ही में भारतीय सेना के बेड़े में बोइंग द्वारा निर्मित AH-64E अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों का शामिल होना, भारत की सैन्य क्षमताओं के लिए एक बड़ा कदम है

क्या Apache वाकई में है 'हवाई टैंकों का किंग'? जानें दुनिया के घातक हेलीकॉप्टरों से कितनी आगे है अमेरिकी ताकत
  • एडवांस तोप से लैस है अपाचे हेलीकॉप्टर
  • भारतीय सेना के बेड़े में अपाचे हेलीकॉप्टर

Why apache helicopter is best: भारतीय सेना में अमेरिकी अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टरों के शामिल होने के बाद, यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ये हेलीकॉप्टर वाकई दुनिया में सबसे बेहतरीन हैं? दुनिया के कई देश अपने-अपने एडवांस अटैक हेलीकॉप्टर बनाते हैं, जैसे रूस का का-52 एलिगेटर और यूरोप का टाइगर. आइए जानते हैं कि अपाचे कैसे इन दिग्गजों के सामने खड़ा होता है और क्यों इसे 'हवाई टैंकों का किंग' कहा जाता है.

क्या है AH-64E अपाचे की खूबियां?
अपाचे को अमेरिकी सेना की आक्रामक क्षमता को बढ़ाने के लिए बनाया गया है. जिसकी सबसे बडी खासियत इसकी इसके एडवांस सिस्टम में है.

हथियार प्रणाली- अपाचे का मुख्य हथियार 30mm M230 चेन गन है, जो प्रति मिनट 625 राउंड फायर कर सकती है. इसके अलावा, यह AGM-114 हेलफायर मिसाइलों और हाइड्रा 70 रॉकेट पॉड्स से लैस है. जिसके सामने दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद वाहन पिद्दी साबित होते हैं. 

एडवांस्ड एवियोनिक्स- इसमें अत्याधुनिक एवियोनिक्स, नाइट विजन सिस्टम और लॉन्गबो रडार लगा है. लॉन्गबो रडार इसे प्रतिकूल मौसम में भी लक्ष्य का पता लगाने और उस पर हमला करने में मदद करता है, और यह एक साथ कई टारगेट को ट्रैक कर सकता है.

पायलट प्रोटेक्शन- इसका कॉकपिट बख्तरबंद है, जो पायलटों को छोटे हथियारों की आग से बचाता है. वहीं, नेटवर्क-केंद्रित युद्ध में भी इसे महारत हासिल है. AH-64E वेरिएंट, जिसे 'गार्जियन' भी कहा जाता है. बेहतर डिजिटल कनेक्टिविटी और UAVs को कंट्रोल करने की क्षमता रखता है.

अपाचे के मुकाबले दुनिया के अन्य अटैकिंग हेलीकॉप्टर
दुनिया भर में कई अटैकिंग हेलीकॉप्टर हैं. हालांकि ताकत के लिहाज से कुछ ही हेलीकॉप्टरों से अपाचे की तुलना की जा सकती है.

1. का-52 'एलिगेटर' (रूस)-
का-52 दोहरे-रोटर डिजाइन के साथ आता है, जिससे यह बेहद फुर्तीला होता है. यह 2A42 30mm तोप, विक्टर एंटी-टैंक मिसाइलों और रॉकेट से लैस है. इसमें K-37/K-38 जैसे एयर-टू-एयर मिसाइल भी लग सकते हैं.

का-52 की फुर्ती अपाचे से बेहतर हो सकती है, खासकर कम ऊंचाई पर. इसके को-एक्सियल रोटर इसे तेजी से ऊपर चढ़ने और बिना पूंछ वाले रोटर के नुकसान के साथ घूमने की ताकत देता है. हालांकि, अपाचे का इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स सूट, विशेष रूप से लॉन्गबो रडार, और नेटवर्क-केंद्रित क्षमताएं का-52 से बेहतर मानी जाती हैं

2. यूरोकॉप्टर टाइगर (यूरोप)-
यूरोपीय देशों फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और ऑस्ट्रेलिया द्वारा विकसित टाइगर एक फुर्तीला और मल्टी-रोल अटैक हेलीकॉप्टर है. यह 30mm तोप, हेलफायर/स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइलों और रॉकेट से लैस है.

जहां तक इसकी तुलना की बात है, यह टाइगर हेलीकॉप्टर बेहद हल्का और फुर्तीला है, जो इसे सपोर्ट और टोही मिशन के लिए परफेक्ट बनाता है. यह एडवांस डिजिटल एवियोनिक्स से लैस है, लेकिन अपाचे के मुकाबले इसकी हथियार ले जाने की क्षमता थोड़ी कम है. जब मुकाबला भारी बख्तरबंद लक्ष्यों के खिलाफ होता है, तब अपाचे की तुलना में इसकी आक्रामक क्षमताएं कम मानी जाती हैं.

3. Z-10 (चीन)-
Z-10 चीन का पहला स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर है, जिसे मुख्य रूप से एंटी-टैंक हेलीकॉप्टर के लिए बनाया गया है. यह 23mm या 30mm तोप, HJ-9/HJ-10 एंटी-टैंक मिसाइलों और एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस है.

अगर तुलना की बात की जाए तो, Z-10 चीन के लिए एक जरूरी स्वदेशी उपलब्धि है. हालांकि, वैश्विक विशेषज्ञों का मानना है कि यह अपाचे जैसे वेस्टर्न डिजाइनों की तुलना में टेक्नोलॉजी और जंग के मैदान में अभी भी पीछे है. इसके इंजन परफॉरमेंस और सेंसर पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं.

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