India Offers Brahmos Missile to Cyprus: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच जब तनाव बढ़ा, तब किसी दूसरे देश ने दखलंदाजी की तो वह तुर्की ही था. ऐसे में, भारत एक ऐसा जाल बिछा रहा है, जिसकी जद में आसानी से तुर्की आ सकता है. दरअसल, भारत ने साइप्रस को अपनी ताकतवर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल देने की पेशकश की है. यह मिसाइल दुश्मन के जहाजों, खासकर तुर्की के नौसैनिक बेड़े के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. आखिर भारत ने यह ऑफर क्यों दिया और इससे तुर्की क्यों परेशान है? आइए जानते हैं.
ब्रह्मोस मिसाइल की पेशकश के मायने
रिपोर्ट के मुताबिक, अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार अरदान जेंटुर्क का कहना है कि भारत ने साइप्रस को ब्रह्मोस मिसाइल देने का फैसला इस इलाके में तुर्की के बढ़ते दबदबे को कम करने के लिए लिया है. वहीं, तुर्की की पाकिस्तान के साथ बढ़ती दोस्ती भी भारत के लिए चिंता का विषय है.
बता दें इस समय, भारत साइप्रस, ग्रीस और आर्मेनिया जैसे देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है. ये सभी देश तुर्की की विस्तारवादी नीतियों से परेशान हैं, खासकर उसकी 'ब्लू होमलैंड' नीति से जो एजियन, काला सागर और पूर्वी भूमध्यसागर में तुर्की का प्रभाव बढ़ाना चाहती है.
ऐसे में, ब्रह्मोस मिलने से साइप्रस की ताकत बढ़ेगी, जिससे वह तुर्की के आक्रामक समुद्री दावों का माकूल जवाब दे पाएगा.
PM मोदी के दौरे के बाद बदली तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 जून, 2025 को साइप्रस की यात्रा पर गए थे. यह 2002 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का साइप्रस का पहला दौरा था, और इसे तुर्की के लिए एक रणनीतिक संदेश माना गया.
यह दौरा भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद हुआ था. साइप्रस ने भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया है और यूरोपीय संघ में भी इस मुद्दे को उठाया है. पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ उन पहाड़ों का भी दौरा किया जो 1974 से तुर्की के कब्जे में हैं, यह भी तुर्की के लिए एक संदेश था.
शक्ति संतुलन में बड़ा बदलाव
अगर साइप्रस में ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात होती हैं, तो इससे पूर्वी भूमध्यसागर में सैन्य शक्ति का संतुलन पूरी तरह से बदल जाएगा. ब्रह्मोस की मारक क्षमता साइप्रस को तुर्की के नौसैनिक ठिकानों को बड़े इलाके में निशाना बनाने की ताकत देगी. यह तुर्की की समुद्री गतिविधियों को रोकने में प्रभावी साबित होगी.
वहीं तुर्की, जो नाटो का सदस्य है और उसके पास रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है, भारत के इस कदम को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखेगा. ब्रह्मोस की मौजूदगी एजियन और पूर्वी भूमध्यसागर में तुर्की के नौसैनिक प्रभुत्व को चुनौती दे सकती है, खासकर उन विवादित समुद्री सीमाओं पर जहां तुर्की का ग्रीस और साइप्रस के साथ टकराव चल रहा है.
साथ ही, तुर्की मीडिया और विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत का यह तालमेल तुर्की और उसके सहयोगियों को घेरने की एक बड़ी कोशिश है. अगर साइप्रस और ग्रीस दोनों ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात कर देते हैं, तो इससे नाटो के भीतर और पूरे क्षेत्र में तनाव काफी बढ़ सकता है.
ये भी पढ़ें- इंडियन नेवी को मिला 'समंदर का दैत्य' ERASR रॉकेट, दुश्मनों की पनडुब्बियों के उड़ा देगा चीथड़े; जानें खासियत
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.