trendingNow1zeeHindustan2829954
Hindi news >> Zee Hindustan>> ग्लोबल नजरिया
Advertisement

भारत खोलेगा चीनी PL-15 मिसाइल का 'काला-चिट्ठा', जापान-अमेरिका तक मांग रहे जानकारी; ड्रैगन की हालत पस्त

पाकिस्तान ने इंडियन एयरफोर्स के खिलाफ PL 15E मिसाइल का इस्तेमाल किया था, लेकिन यह अपने टारगेट पर हमला करने में नाकाम रही. जिसके मलबे का भारत स्टडी करने वाला है, वहीं जरूरत पर पड़ने पर अपने मैत्रीय देशों को इसकी जानकारी साझा कर सकता है.

भारत खोलेगा चीनी PL-15 मिसाइल का 'काला-चिट्ठा', जापान-अमेरिका तक मांग रहे जानकारी; ड्रैगन की हालत पस्त
  • ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाक ने दागी थी PL-15E मिसाइल
  • हमला करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए चीनी हथियार

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच, पाकिस्तान ने हमले की नाकाम कोशिश की थी. इसके लिए चीन की सबसे एडवांस मिसाइल माने जाने वाली PL 15E मिसाइल का इस्तेमाल किया था. जो पूरी तरह फिसड्डी साबित हुए. कुछ तो सही सलामत मलबे के रूप में मिले. जिसको लेकर भारत स्टडी करने वाला है. वहीं, इस मिसाइल की टेक्नोलॉजी को लेकर अमेरिका, जापान और फ्रांस जैसे देश दिलचस्पी दिखा रहे हैं. जिससे चीन को अपना भेद खोलने की चिंता बढ़ गई है. 

भारत के हाथ लगा चीन का सीक्रेट
भारतीय अधिकारियों ने PL-15E मिसाइल के कम से कम आठ टुकड़े बरामद किए, जिनमें से दो लगभग सही-सलामत हालत में थे. इन टुकड़ों में मिसाइल के इंजन, डेटा लिंक और रडार जैसे अहम हिस्से भी थे. इस बरामदगी को भारत के लिए एक बड़ी खुफिया जीत माना गया है.

वहीं, DRDO ने इस मलबे को कब्जे में ले लिया है ताकि मिसाइल की अंदरूनी तकनीक, जैसे उसके गाइडिंग सिस्टम और काम करने के तरीके का गहराई से अध्ययन किया जा सके. जिसको लेकर भारतीय अधिकारियों ने इस बरामदगी को चीन की एडवांस्ड मिसाइल टेक्नोलॉजी को समझने का एक 'अभूतपूर्व मौका' बताया है.

क्यों ट्रांसफर हो रहा है मिसाइल डेटा?
भारत ने PL-15E मिसाइल के टूटे हुए, लेकिन पूरी तरह से खराब न हुए मलबे को एक गुमनाम दोस्त देश को देने का फैसला किया है. यह फैसला भारत के अपने खास दोस्तों के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है.

हालांकि, DRDO द्वारा जांचे जा रहे सही-सलामत मिसाइलों जितना नहीं है, फिर भी दिए जाने वाले मलबे में मिसाइल के निर्माण और परफॉरमेंस को समझने के लिए जरूरी जानकारी है.

दुनिया भर के देशों की बढ़ती दिलचस्पी
PL-15E मलबे की रिकवरी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब ध्यान खींचा है. अमेरिका, जापान, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे कई देशों ने मिसाइल डेटा तक पहुंच मांगी है. फाइव आइज इंटेलिजेंस गठबंधन भी इसे चीन की एयर-टू-एयर मिसाइल तकनीक का अध्ययन करने का एक अहम मौका मानता है, खासकर इंडो-पैसिफिक में संभावित संघर्षों, ताइवान, दक्षिण चीन सागर को देखते हुए.

भारत PL-15E मिसाइल का खोलेगा पुर्जा-पुर्जा
रिपोर्ट के मुताबिक, PL-15E मिसाइल की रेंज 145 किलोमीटर है और इसमें Mach 5 से ज्यादा गति वाला रॉकेट मोटर लगा है. वहीं, इसका AESA रडार सीकर और टू-वे डेटा लिंक सटीक निशाना लगाने में मदद करते हैं.

यह चीन की एयर कॉम्बैट रणनीति का एक अहम हिस्सा है. इस मलबे से मिली जानकारी चीन के मिसाइल डिजाइन और उन कमजोरियों को उजागर करती है, जिनका इस्तेमाल एडवांस्ड EW जवाबी हमलों में किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- पाकिस्तान के हाथ से निकला चीनी J-35 फाइटर जेट? ड्रैगन को सताने लगा अमेरिका का डर; जानें पूरा माजरा

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

Read More