हाल ही में अमेरिका ने हूती विद्रोहियों पर हमले तेज कर दिए हैं, अमेरिका का मानना है कि हूती विद्रोहियों को ईरान समर्थन देता है. वहीं इन दोनों कड़ियों के बीच अमेरिका ने कई बार न्यूक्लियर डील को लेकर ईरान को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने किसी भी प्रकार के समझौते से इनकार कर दिया है. अब इसी न्यूक्लियर को लेकर अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने बताया है कि ईरान किसी भी प्रकार का सक्रिय रूप से परमाणु हथियार बनाने का प्रयास नहीं कर रहा है.
तुलसी गब्बार्ड ने दी जानकारी
अमेरिका ने ही साल 1950 में ईरान को न्यूक्लियर टेक्निक दी थी, हालांकि उस समय सत्ता शाह पहलवी के हाथों में थी, जो परमाणु गतिविधियां शांतिपूर्ण कार्यों के लिए कर रहे थे, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में ईरान हूती विद्रोहियों को समर्थन देता है, जो लगातार अमेरिका के शिप को निशाना बना रहे हैं. ऐसे में अमेरिका बार-बार ईरान में परमाणु गतिविधियों को रोकने का प्रयास कर रहा है.
वहीं इस मामले को लेकर राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) तुलसी गब्बार्ड ने 25 मार्च, मंगलवार को जानकारी दी की, अमेरिकी खुफिया समुदाय (IC) ने मालूम किया है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है और सुप्रीम लीडर खामनेई ने साल 2003 में निलंबित किए गए परमाणु हथियार कार्यक्रम को अधिकृत नहीं किया है.
क्या कहती है खुफिया रिपोर्ट?
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में, ईरान द्वारा किसी भी प्रकार का परमाणु हथियार बनाए न जाने की सूचना के अलावा, यह भी बताया गया है कि जिस तरह से ईरान में लंबे समय से सार्वजनिक रूप से परमाणु हथियारों पर चर्चा करने से बचा जाता था,पिछले कुछ वर्षों में उसमें भारी कमी आई है, इससे ईरान के निर्णय लेने वाले संगठन के भीतर, परमाणु हथियारों की वकालत करने वालों का हौसला बढ़ रहा है.
वहीं ईरान में, परमाणु हथियार में इस्तेमाल होने वाला यूरेनियम भंडार अपने उच्चतम स्तर पर है. जो बिना परमाणु हथियार वाले देश के लिए बहुत अधिक है.
इजरायल-ईरान तनाव को लेकर गंभीर
साथ ही अमेरिका ने अपनी खुफिया रिपोर्ट में यह भी बताया है कि वह वर्तमान में इजरायल के साथ ईरान के बढ़ते तनाव को गंभीरता से लिया है. खुफिया विभाग का आकलन है, पिछले हमलों में ईरान की सेना को हुए नुकसान को फिर से संगठित करने और विशेष रूप से इजरायल के एक्शन को रोकने के लिए, ईरान द्वारा एक विश्वसनीय डेटरेंस प्रदान करने की संभावनाएं काफी कम हैं.
वहीं ईरान न्यूक्लियर डील के रूप में जाना जाने वाला, संयुक्त व्यापक कार्य योजना (Joint Comprehensive Plan of Action) जुलाई 2015 में हस्ताक्षरित किया गया था, जिसका उद्देश्य ईरान के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों में राहत के बदले, उसके परमाणु कार्यक्रम को सीमित करना था. लेकिन मई 2018 में ट्रम्प ने इससे हाथ खींच लिए और ईरान धीरे-धीरे परमाणु बम हासिल करने के करीब पहुंच गया. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार, ईरान का कहना है कि उसकी परमाणु गतिविधियां शांतिपूर्ण हैं और सामूहिक विनाश के लिए बनाए जाने वाले हथियार और उसका उपयोग इस्लाम में मनाही है.
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