Iran vs Israel War: ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. एक तरफ सैन्य हमले और जवाबी कार्रवाई हो रही है, तो दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों की राय और समर्थन भी बंट गया है. इस विवाद को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर कौन सा देश किसके साथ खड़ा है? आइए समझते हैं कि इस संघर्ष में दुनिया दो हिस्सों में कैसे बंटती नजर आ रही है.
इजरायल के समर्थन में कौन-कौन से देश हैं?
अमेरिका (USA): अमेरिका इजरायल का सबसे बड़ा रणनीतिक सहयोगी है. चाहे सैन्य मदद हो या राजनीतिक समर्थन, अमेरिका हमेशा इजरायल के साथ खड़ा रहा है. हाल ही में भी अमेरिका ने इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया है.
यूनाइटेड किंगडम (UK): ब्रिटेन भी इजरायल के साथ है और उसने ईरान द्वारा की गई किसी भी संभावित हमले की निंदा की है.
जर्मनी और फ्रांस: यूरोप के ये बड़े देश भी इजरायल के पक्ष में खड़े हैं. उन्होंने क्षेत्र में शांति की अपील तो की है, लेकिन इजरायल की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है.
ऑस्ट्रेलिया और कनाडा: इन देशों ने भी इजरायल के खिलाफ किसी भी प्रकार के हमले को अस्वीकार किया है और समर्थन जताया है.
ईरान के समर्थन में कौन-कौन से देश हैं?
रूस (Russia): रूस ने सीधे तौर पर ईरान का समर्थन तो नहीं किया है, लेकिन उसने इजरायल की नीतियों की आलोचना की है. रूस चाहता है कि पश्चिमी देशों का प्रभाव इस क्षेत्र में कम हो.
चीन (China): चीन ने भी ईरान के खिलाफ किसी भी सख्त कदम का विरोध किया है और बातचीत के जरिए समाधान की वकालत की है.
सीरिया, लेबनान और यमन जैसे देश: ये देश पहले से ही ईरान के साथ जुड़ाव रखते हैं और इजरायल के खिलाफ हैं. इन देशों के भीतर ईरान समर्थक गुट सक्रिय हैं जो इजरायल विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं.
भारत का समर्थन किसको?
भारत की विदेश नीति हमेशा संतुलन पर आधारित रही है. ईरान और इजरायल दोनों से भारत के अच्छे और मजबूत रिश्ते हैं. भारत ने अब तक किसी एक पक्ष का खुलकर समर्थन नहीं किया है. भारत ने इस संघर्ष पर चिंता जताई है और दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है. साथ ही भारत ने यह भी कहा है कि बातचीत के जरिए ही इस संकट का समाधान निकाला जाना चाहिए. भारत का रुख स्पष्ट है कि वह शांति और स्थिरता के पक्ष में है, ना कि किसी एक देश के.