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किम और जिनपिंग को आंख दिखाएगा जापान, एंटी-शिप मिसाइलें ईस्ट एशिया में मचाएंगी खलबली!

Japan Anti Ship Missiles: जापान ने क्यूशू द्वीप पर अपनी एंटी-शिप मिसाइलें तैनात करने का फैसला किया है. यह फैसला तब किया गया है, जब जापान के संबंध उत्तर कोरिया और चीन से बिगड़े हुए हैं. जापान के इस कदम से ये दोनों देश खफा हो सकते हैं.

किम और जिनपिंग को आंख दिखाएगा जापान, एंटी-शिप मिसाइलें ईस्ट एशिया में मचाएंगी खलबली!
  • क्यूशू द्वीप पर होगी मिसाइलों की तैनाती
  • उत्तर कोरिया और चीन हो सकते हैं खफा

Japan Anti Ship Missiles: चीन और जापान के बीच दुश्मनी लगातार बढ़ती जा रही है. चीन ने पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. ये जापान के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है. इसके अलावा, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कुछ हफ्ते पहले ही जापान को परमाणु हमले की धमकी दी थी. नॉर्थ कोरिया से भी जापान को गाहे-बगाहे खतरा महसूस होता रहता है. पड़ोसियों से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए जापान ने बड़ा कदम उठाया है. जापान मार्च 2026 तक अपने क्यूशू द्वीप पर लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइलों को तैनात कर सकता है.

जापान तैनात करेगा टाइप-12 एंटी-शिप मिसाइल
जापान की योजना है कि क्यूशू द्वीप पर टाइप-12 एंटी-शिप मिसाइलों को तैनात किया जाए. इन मिसाइलों की मारक क्षमता लगभग 1,000 किलोमीटर है. यह मिसाइलें न केवल समुद्र में जहाजों को निशाना बना सकती हैं, बल्कि इसकी रेंज उत्तर कोरिया और चीन के कुछ तटीय इलाकों को भी कवर कर सकती हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि ये मिसाइलें खासकर नानसेई द्वीप समूह के पास तैनात की जाएंगी, जो ताइवान के करीब है.

क्यूशू द्वीप पर ही क्यों हो रही तैनाती
क्यूशू द्वीप जापान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में है. यह नानसेई द्वीप समूह के करीब है. यह ताइवान और जापान के बीच के एक अहम समुद्री मार्ग पर स्थित है. यदि कल को इस क्षेत्र में कोई संघर्ष होता है, तो यह मिसाइलें जापान को दुश्मन से बचाने में जरूरी भूमिका निभा सकती हैं. इसके अलावा, जापान अमेरिका के साथ मिलकर  क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना चाह रहा है, इस दिशा में भी मिसाइलों की तैनाती बड़ा कदम है.
 
उत्तर कोरिया और चीन हो सकते हैं खफा
जापान को इस तैनाती पर चीन और उत्तर कोरिया से प्रतिक्रिया भी देखने को मिल सकती है. जापान ने भले इस तैनाती को अपनी आत्मरक्षा बताया हो, लेकिन दोनों देश इसे आक्रामक कदम के रूप में देख सकते हैं. इसके जवाब में चीन और उत्तर कोरिया अपनी सैन्य गतिविधियों को और तेज कर सकते हैं.

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