भारत अब केवल हथियार खरीदने वाला देश नहीं रहा, बल्कि हथियार बनाने और दूसरे देशों को बेचने वाला एक नया और मजबूत विकल्प बन चुका है. कई यूरोपीय NATO देश अब भारत में बने हथियारों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण यह है कि वे अमेरिका पर अपनी पूरी सुरक्षा जरूरतों के लिए निर्भर नहीं रहना चाहते. भारत उन्हें एक भरोसेमंद, सस्ता और टिकाऊ विकल्प लग रहा है.
भारत में बने हथियारों की बढ़ती पहचान
पिछले कुछ सालों में भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र में बड़ा सुधार किया है. अब भारत खुद कई आधुनिक हथियार बना रहा है, जो तकनीक के मामले में किसी भी विकसित देश से कम नहीं हैं. इनमें शामिल हैं:
पिनाका रॉकेट सिस्टम: जो तेजी से हमला करने के लिए जाना जाता है.
आकाश एयर डिफेंस सिस्टम: जो दुश्मन की मिसाइल और फाइटर जेट को रोक सकता है.
ATAGS तोप सिस्टम: जो लंबी दूरी तक सटीक हमला कर सकती है.
BEL के बनाए संचार सिस्टम: जो युद्ध के समय सुरक्षित कम्युनिकेशन में मदद करते हैं.
ये हथियार सिर्फ अच्छे नहीं हैं, बल्कि विदेशों में बनने वाले हथियारों की तुलना में सस्ते भी हैं.
NATO देश क्यों भारत की तरफ देख रहे हैं?
कई NATO देश अब यह सोच रहे हैं कि अगर भविष्य में अमेरिका से सप्लाई में कोई दिक्कत हुई, तो उनके पास दूसरा मजबूत विकल्प होना चाहिए. भारत इस समय ऐसा ही एक विकल्प बन रहा है, जो तकनीक में अच्छा है, डिलीवरी समय पर कर सकता है और कीमत भी किफायती है.
भारत के साथ डील करने के कुछ अहम कारण भी हैं, जैसे कम लागत में बेहतरीन तकनीक, तेजी से प्रोडक्शन और सप्लाई, राजनीतिक स्थिरता और भरोसेमंद संबंध. इसलिए अब NATO देश भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं, ताकि वे कुछ जरूरी रक्षा सिस्टम भारत से खरीद सकें या भारत के साथ मिलकर उत्पादन कर सकें.
भारत की बदलती छवि
एक समय था जब भारत को सिर्फ हथियार खरीदने वाले देश के तौर पर देखा जाता था. लेकिन अब भारत खुद हथियार बना रहा है और उन्हें दुनिया के कई देशों को बेच भी रहा है. सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है. भारत अब सिर्फ अपने देश के लिए नहीं, बल्कि विदेशों के लिए भी रक्षा सामान बना रहा है. इससे भारत की छवि बदली है और अब उसे एक मजबूत रक्षा पार्टनर माना जा रहा है.