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तुर्की पर सऊदी अरब की आर्थिक स्ट्राइक, किंग सलमान का 'बायकॉट बम'

तुर्की के हर प्रोडक्ट को सऊदी अरब ने बाय-बाय कह दिया है. इससे एर्दोगान की अगुवाई वाले तुर्की को कम से ढाई से तीन अरब डॉलर का नुकसान होना तय है. 

तुर्की पर सऊदी अरब की आर्थिक स्ट्राइक, किंग सलमान का 'बायकॉट बम'
  • 3 अरब डॉलर तक का होगा नुकसान
  • मुस्लिम देशों का सुप्रीम लीडर बनने की रेस
  • फ्रांस से भी तुर्की को बड़ी आर्थिक चपत
  • तुर्की की बदहाली का असर पाकिस्तान पर होगा

नई दिल्ली: तुर्की पर सऊदी अरब ने आर्थिक स्ट्राइक शुरू कर दी है. पूरे सऊदी अरब में हर स्टोर से तुर्की के सामानों को हटाया जा रहा है. यहां तक कि मेड इन तुर्की उत्पादों को भी किसी स्टोर में रखने की इजाज़त नहीं. सऊदी अरब की ये ऐसी कार्रवाई है..जिससे तुर्की को अरबों डॉलर की चपत लगेगी.

3 अरब डॉलर तक का होगा नुकसान

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तुर्की के हर प्रोडक्ट को सऊदी अरब ने बाय-बाय कह दिया है. इससे एर्दोगान की अगुवाई वाले तुर्की को कम से ढाई से तीन अरब डॉलर का नुकसान होना तय है. 2018 में तुर्की ने सऊदी अरब को 2.64 अरब डॉलर का निर्यात किया था. अब सऊदी अरब इसे सीधे ज़ीरो पर पहुंचाने वाला है.

तुर्की के कुल निर्यात में सऊदी अरब को होने वाले एक्सपोर्ट की भागीदारी 1.6% की है. जिस पर सऊदी अरब ने कैंची चला दी है.

मुस्लिम देशों का सुप्रीम लीडर बनने की रेस

तुर्की और सऊदी अरब के बीच इस वक्त मुस्लिम देशों का सुप्रीम लीडर बनने की रेस चल रही है. सऊदी अरब दशकों से मुस्लिम देशों का सबसे बड़ा अगुवा रहा है लेकिन अब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने उसे सीधी चुनौती दी है. फ्रांस के ताजा कार्टून विवाद पर भी दोनों का रुख अलग है. जहां सऊदी अरब का ज्यादा जोर फ्रांस में इस्लामी कट्टरपंथियों के हमले की निंदा पर है तो वहीं तुर्की सीधे-सीधे फ्रांस के बहिष्कार पर उतर आया है.

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फ्रांस से भी तुर्की को बड़ी आर्थिक चपत

तुर्की जिस कदर फ्रांस से टकराव मोल ले चुका है..उसके बाद कारोबार का बंद होना तय है. तुर्की के कुल निर्यात वाले देशों में फ्रांस की भागीदारी 4.4% की है. तुर्की फ्रांस को 7.3 अरब डॉलर का निर्यात करता है. यानी सऊदी अरब और फ्रांस की तरफ से तुर्की से होने वाला निर्यात बंद करने पर..एर्दोगान की हुकूमत को करीब 9 अरब डॉलर की चपत लगेगी..जिसे  संभालना एर्दोगान के बस की बात नहीं होगी.

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तुर्की की बदहाली का असर पाकिस्तान पर होगा

पाकिस्तान ने तुर्की से आर्थिक मदद की बड़ी उम्मीदें पाल रखी हैं. जो भविष्य में शायद ही पूरी हों. कट्टरपंथी एजेंडे पर चलने की वजह से तुर्की के कई व्यापारिक साझीदार देशों से संबंध खराब हो चुके हैं. अगर तुर्की की आर्थिक हालत खराब होती है तो पाकिस्तान किसी मदद की उम्मीद नहीं कर सकता. सऊदी अरब ने पाकिस्तान को आर्थिक मदद पहले से ही बंद कर रखी है. अमेरिका भी पल्ला झाड़ झुका है..ऐसे में पाकिस्तान की दुर्गति तय है.

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