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इज्जत ना घट जाए! ट्रंप सच बोल रहे हैं या शी जिनपिंग? दोनों में एक फोन कॉल को लेकर छिड़ गई जंग, जानें- पूरा मामला

Any phone call between Donald trump and xi jinping? चीन के साथ वार्ता पर ट्रंप का दावा ऐसे समय में आया है जब बीजिंग ने पहले इस बात से इनकार किया था कि कोई भी वार्ता चल रही है, और तर्क दिया था कि वार्ता शुरू करने के लिए अमेरिका को टैरिफ कम करना होगा.

इज्जत ना घट जाए! ट्रंप सच बोल रहे हैं या शी जिनपिंग? दोनों में एक फोन कॉल को लेकर छिड़ गई जंग, जानें- पूरा मामला

America-China NEWS: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलासा किया है कि वाशिंगटन बीजिंग के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत कर रहा है और चीनी नेता शी जिनपिंग ने टैरिफ पर चर्चा करने के लिए उन्हें फोन किया है. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह नहीं बताया कि उनके चीनी समकक्ष ने उन्हें कब फोन किया. ट्रंप की ये बातचीत शुक्रवार (25 अप्रैल) को प्रकाशित टाइम मैगजीन के एक साक्षात्कार के अनुसार है.

द टाइम्स ने ट्रंप के हवाले से कहा, 'उन्होंने फोन किया है. और मुझे नहीं लगता कि यह उनकी ओर से कमजोरी का संकेत है.'

ट्रंप ने आगे दावा किया कि वह लगभग 'तीन या चार सप्ताह' में व्यापार भागीदारों के साथ टैरिफ समझौते करेंगे. उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि अगले तीन से चार सप्ताह में हमारा काम पूरा हो जाएगा.'

चीन बोला कोई बात नहीं हुई
चीन वार्ता पर ट्रंप का दावा ऐसे समय में आया है जब बीजिंग ने पहले इस बात से इनकार किया था कि कोई भी वार्ता चल रही है. चीन ने यह तर्क देते हुए कहा था कि वार्ता शुरू करने के लिए अमेरिका को टैरिफ कम करना होगा.

बीजिंग ने कहा कि 'चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच कोई आर्थिक और व्यापार वार्ता नहीं हुई है.'

चीन ने चुपचाप जवाबी टैरिफ वापस ले लिया
बीजिंग के साहस दिखाने के बावजूद जवाबी टैरिफ वापस ले लिया. शुक्रवार को मीडिया रिपोर्टों में बताया गया कि चीन सेमीकंडक्टर सहित कुछ अमेरिकी आयातों पर 125 प्रतिशत जवाबी टैरिफ को चुपचाप वापस लेने की दिशा में आगे बढ़ सकता है.

इस महीने की शुरुआत में, ट्रंप प्रशासन ने चीनी आयातों पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया. हालांकि, इस टैरिफ जंग ने व्यापक आर्थिक मंदी की आशंकाओं को जन्म दिया.

दिलचस्प बात यह है कि चीन कुछ अलग करने के प्रयास में है. वह चुपके से आठ प्रकार के अमेरिकी सेमीकंडक्टर को इन शुल्कों से छूट दे रहा है लेकिन मेमोरी चिप्स को नहीं.

CNN की रिपोर्ट है कि इन छूटों का खुलासा सीमा शुल्क जांच के दौरान हुआ, न कि सार्वजनिक घोषणाओं के जरिए. कुछ कंपनियों को रिफंड भी मिल सकता है अगर उन्होंने पहले ही शुल्क चुका दिया है.

इस बीच, ब्लूमबर्ग ने बताया कि चीन कुछ अमेरिकी चिकित्सा उपकरणों और इथेन जैसे रसायनों को भी छूट दे सकता है, जिन पर चीनी उद्योग और अस्पताल बहुत ज्यादा निर्भर हैं.

हालांकि, बात वही कि चीन और अमेरिका में बात हुई या नहीं. ट्रंप कह रहे हैं फोन आया, लेकिन चीन ने मना किया. आखिर ये कैसी जंग जिसमें एक फोन कॉल बड़ी हो गई. या ऐसे कह लें कि चीन शक्तिशाली दिखाने के चक्कर में खुद को छुका हुआ नहीं दिखाना चाहता. अब जो भी हो, लेकिन ये साफ है चीन ने बिना घोषणा के अमेरिका पर लगाया टैरिफ हटाने की दिशा में कदम उठाए हैं.

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