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थाईलैंड और कंबोडिया में किसकी मिलिट्री ज्यादा पावरफुल है? जानिए कौन पड़ेगा किस पर भारी

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच बढ़ते सीमा तनाव के बीच दोनों देशों की सैन्य ताकत की तुलना चर्चा में है. थाईलैंड की सेना संख्या, बजट, तकनीक और एयर-नेवी क्षमता में कंबोडिया से काफी आगे है. हालांकि, कंबोडिया ने रॉकेट सिस्टम जैसे हथियारों में बढ़त बनाई है.  

थाईलैंड और कंबोडिया में किसकी मिलिट्री ज्यादा पावरफुल है? जानिए कौन पड़ेगा किस पर भारी
  • थाईलैंड की सेना ज्यादा एडवांस 
  • कंबोडिया के पास ज्यादा रॉकेट सिस्टम
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हाल ही में थाईलैंड और कंबोडिया के बार्डर पर बढ़ते विवाद की वजह से दोनों देशों की मिलिट्री ताकत को लेकर चर्चा तेज हो गई है. लोग जानना चाहते हैं कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति आती है, तो किसकी फौज ज्यादा मजबूत साबित होगी. इसको जानने के लिए हमें दोनों देशों की सेनाओं के बजट, सैनिकों की संख्या, हथियारों और तकनीक से जुड़ी पूरी जानकारी समझनी होगी.

सैन्य बजट और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में फर्क
थाईलैंड का डिफेंस बजट करीब 5.73 बिलियन डॉलर का है, जबकि कंबोडिया का सैन्य बजट सिर्फ 1.3 बिलियन डॉलर है. इस बात से साफ पता चलता है कि थाईलैंड अपने मिलिट्री स्ट्रक्चर में काफी ज्यादा इन्वेस्ट करता है. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 के मुताबिक, थाईलैंड दुनिया की टॉप 30 ताकतवर सेनाओं में 25वें नंबर पर है, जबकि कंबोडिया 95वें स्थान पर है. यह अंतर बहुत बड़ा है और सीधे तौर पर दोनों देशों की सैन्य क्षमता का अंदाजा लग जाता है.

सैनिकों की संख्या और मिलिट्री स्ट्रक्चर
थाईलैंड के पास करीब 3.6 लाख सक्रिय सैनिक हैं। इसके अलावा 2.2 लाख रिजर्व सैनिक और करीब 25,000 पैरामिलिट्री फोर्स भी हैं। कुल मिलाकर थाईलैंड के पास लगभग 6 लाख से ज्यादा सुरक्षा बल हैं। इसके मुकाबले कंबोडिया के पास केवल 1.2 लाख सक्रिय सैनिक हैं और पैरामिलिट्री मिलाकर यह संख्या दो लाख से थोड़ी ही ऊपर जाती है।
यानी सिर्फ संख्या के आधार पर भी थाईलैंड की सेना कंबोडिया से तीन गुना ज्यादा बड़ी और संगठित है।

आर्मी, एयरफोर्स और नेवी की ताकत
थलसेना की बात करें तो थाईलैंड के पास लगभग 400 लड़ाकू टैंक हैं, जबकि कंबोडिया के पास सिर्फ 200 के आस-पास ही हैं. इसके अलावा आर्टिलरी की संख्या भी थाईलैंड में हजारों में है, जबकि कंबोडिया के पास यह गिनती सैकड़ों में ही सीमित है. हालांकि, एक खास बात यह है कि कंबोडिया के पास रॉकेट लॉन्च करने वाले सिस्टम (MLRS) की संख्या थाईलैंड से ज्यादा है, जिससे वह कम समय में बड़ा हमला कर सकता है.

वायुसेना की बात करें तो थाईलैंड के पास एडवांस फाइटर जेट्स जैसे F-16 और Saab Gripen मौजूद हैं, जिनकी संख्या 100 से ज्यादा है. इसके अलावा थाईलैंड के पास हेलिकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और ड्रोन जैसे रिसोर्सेज की भी भरमार है. दूसरी ओर, कंबोडिया की वायुसेना के पास ना तो कोई फाइटर जेट है और ना ही कोई भारी एयर सिस्टम. वहां सिर्फ कुछ हेलिकॉप्टर और छोटे ट्रांसपोर्ट प्लेन हैं, जिससे उसकी एयरफोर्स बेहद सीमित और कमजोर नजर आती है.

नौसेना की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. थाईलैंड के पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर, कई फ्रीगेट्स, कोरवेट्स और एम्फीबियस जहाज हैं. वहीं कंबोडिया की नौसेना काफी छोटी है, जिसमें कुछ ही गश्ती नौकाएं हैं और ना तो कोई पनडुब्बी है, ना कोई बड़ा वॉरशिप.

कौन है ज्यादा पावरफुल?
अगर सभी पहलुओं को देखा जाए तो थाईलैंड की सेना कंबोडिया से कई गुना ज्यादा आधुनिक, संगठित और ताकतवर है. चाहे सैनिकों की संख्या हो, हथियारों की तकनीक हो या वायुसेना और नौसेना की तैयारी, थाईलैंड हर स्तर पर कंबोडिया से आगे है.
हालांकि, कंबोडिया ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव करते हुए रॉकेट सिस्टम जैसी आक्रामक तकनीक को बढ़ाया है, लेकिन यह थाईलैंड की मिलिट्री ताकत के सामने टिकने वाली नहीं है.

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