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अंग गायब, बिजली के झटकों के निशान...रूसी हिरासत में जान गंवाने वाली यूक्रेन की पत्रकार विक्टोरिया की खौफनाक कहानी

Viktoriia Roshchyna Death: यूक्रेन की पत्रकार विक्टोरिया रोशचिना 2023 में रूस के कब्जे वाले जापोरिज्जिया में रिपोर्टिंग मिशन पर गई थीं. हालांकि, 27 वर्षीय इस महिला को रूसियों ने पकड़ लिया और उन्हें सबसे क्रूर हिरासत केंद्रों में से एक में रखा गया, जहां उन्हें प्रताड़ित किया गया. जब फरवरी में रोशचिना का शव यूक्रेन वापस लाया गया तो उनपर पर यातना के कई निशान थे.

अंग गायब, बिजली के झटकों के निशान...रूसी हिरासत में जान गंवाने वाली यूक्रेन की पत्रकार विक्टोरिया की खौफनाक कहानी

Ukraine-Russia news: वह यूक्रेन में एक बॉडी बैग में वापस आई जिस पर 'अज्ञात पुरुष' लिखा हुआ था. शरीर चोटिल, टूटा हुआ और मुश्किल से पहचाना जा सकने वाला था. लेकिन DNA टेस्ट ने सच्चाई की पुष्टि की. यह विक्टोरिया रोशचिना नामक 27 वर्षीय यूक्रेनी पत्रकार थी जो रूस के कब्जे वाले जापोरिज्जिया में जाने के बाद महीनों से लापता थी.

वह यूक्रेन के लोगों की अवैध हिरासत और यातना पर रिपोर्टिंग कर रही थी, एक ऐसा मिशन जिसकी वजह से आखिरकार उनकी जान चली गई.

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में आई उनकी लाश पर यातना के कई निशान थे. टूटी हुई हड्डियां, बिजली से जलाए जाने के निशान, सिर मुंडा हुआ और कई अंग, जैसे कि ब्रेन, आंखें गायब, ये सब इस बात की ओर इशारा करते हैं कि शायद उन्होंने जो कुछ सहा उसे छिपाने की कोशिश की गई थी.

यूक्रेनी युद्ध की क्रूर वास्तविकताओं को उजागर करने में वर्षों बिताने वाली एक पत्रकार, दुनिया की सबसे काली त्रासदियों में से एक बन गई. यहां उनकी कहानी पर एक नजर डाली गई है.

'पत्रकारिता से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं'
CNN के अनुसार, रोशचिना के सहकर्मियों ने कहा कि 'पत्रकारिता से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके जीवन में कुछ नहीं था.' एक स्वतंत्र पत्रकार, उन्हें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर उनकी बहादुर फ्रंटलाइन रिपोर्टिंग के लिए सम्मानित किया गया था.

अपने परिवार द्वारा प्यार से वीका के नाम से जानी जाने वाली रोशचिना संघर्ष की वास्तविकताओं से कोई अजनबी नहीं थीं. उनके पिता सोवियत-अफगान युद्ध के एक अनुभवी थे और जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया, तब वह सिर्फ 17 साल की थीं. वह और उनकी बहन क्रिवी रिह में पली-बढ़ीं, ये राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की का वही शहर, जो 2022 में दक्षिणी यूक्रेन में रूसी अग्रिम सीमा से लगभग 50 किमी दूर है. उनके माता-पिता अभी भी वहीं रहते हैं.

Ukrainska Pravda के प्रधान संपादक सेविल मुसैवा ने द गार्जियन से बात करते हुए कहा, 'वह काम के प्रति जुनूनी थीं और समझौता नहीं करती थीं.' 'नौकरी के अलावा उनका कोई जीवन नहीं था, कोई दोस्त नहीं, कोई साथी नहीं. लेकिन असाधारण काम करना भी उनका काम था. उनके लिए यह एक मिशन था. वह मेरे करियर में मिले सबसे बहादुर पत्रकारों में से एक थीं.'

अपने स्रोतों और खुद की सुरक्षा के लिए, रोशचिना ने अत्यधिक सावधानी बरती. उन्होंने कई फोन इस्तेमाल किए और अपनी रिपोर्ट उन फाइलों में लिखी जो अपने आप डिलीट हो जाती थीं. कभी-कभी, वह कई हफ्तों के लिए गायब हो जाती थी और अचानक नई कहानियों के साथ फिर से सामने आती थीं.

खतरे से उनका पहला बड़ा सामना मार्च 2022 में हुआ, जब वह रूसी कब्जे वाले शहर बर्डियांस्क से रिपोर्टिंग कर रही थी. उन्हें एक सैनिक ने पकड़ लिया और रूसी संघीय सुरक्षा सेवा (FSB) को सौंप दिया. तब मजबूरी में एक  वीडियो रिकॉर्ड कराने के बाद अंततः जनता के दबाव के बाद रिहा कर दिया गया.

हालांकि, वह फ्रंटलाइन पार करती रहीं. उन्होंने जापोरिज्जिया परमाणु संयंत्र में श्रमिकों द्वारा सामना किए जाने वाले उत्पीड़न का खुलासा किया और रूसी कब्जे का विरोध करने वाले दो किशोर लड़कों की गोली मारकर हत्या की सच्चाई दिखाई.

बाद में रोशचिना 25 जुलाई 2023 को तथाकथित ब्लैक साइट्स, तहखाने या कारखानों जैसे गुप्त स्थानों की तलाश में निकल पड़ीं, जहां FSB एजेंट नागरिकों को प्रताड़ित कर रहे थे और जबरन कबूलनामा करवा रहे थे. वह इसमें शामिल अधिकारियों की सूची भी तैयार कर रही थीं.

लेकिन इस रास्ते पर कहीं न कहीं, उनका मिशन एक दर्दनाक अंत पर पहुंच गया.

'वजन 30 किलो तक गिर गया, तकिए से सिर नहीं उठा पा रही थी'
रिपोर्टिंग ट्रिप के कुछ ही दिनों बाद, विक्टोरिया रोशचिना के पिता वोलोडिमिर रोशचिन को चिंता होने लगी. उनकी बेटी ने मैसेजों का जवाब देना बंद कर दिया था.

इसके बाद महीनों तक चुप्पी रही. लेकिन उसके पिता द्वारा बाद में ये पता लगा लिया गया कि वह कुख्यात रूसी जेल, टैगान्रोग में प्री-ट्रायल डिटेंशन सेंटर सिजो 2 में रूसी-यूक्रेनी सीमा के पास बंद हैं. टैगान्रोग अपनी क्रूर स्थितियों के लिए बदनाम है.

CNN के अनुसार, वहां कैदियों को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की यातनाएं दी जाती हैं. खाना मिलना तो मुश्किल होता है और चिकित्सा देखभाल लगभग न के बराबर है.

रोशचिना के दोस्त ने बताया ने रोशचिना को लगा कि उसे ड्रोन द्वारा देखा गया था. एक पुलिस कार आई और उसे पूछताछ के लिए ले जाया गया. कई दिनों तक हिरासत में रहने के बाद, उसे मेलिटोपोल में एक गुप्त हिरासत स्थल पर ले जाया गया, जिसे बंदियों के बीच गैरेज के रूप में जाना जाता है.

यहीं से यातना शुरू हुई
पूछताछ के दौरान, उन्होंने बिजली के झटके दिए... पत्रकार दोस्त को कई बार चाकू मारा गया. दोस्त भी हिरासत में था, उसने ये भी खुद देखा. यातना के बाद, रोशचिना को जीप में अकेले टैगान्रोग ले जाया गया. वहां, उसे अलग-थलग रखा गया. उसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य जल्दी ही बिगड़ गया. टैगान्रोग में रोशचिना से मिलने वाले एक दूसरे बंदी ने बताया, 'वह पहले से ही अज्ञात दवाओं के नशे में धुत थी.' 'वह वहां पहुंची और पागल होने लगी.'

'हम उससे बात करते थे, लेकिन वह अपने दिमाग में खोई रहती थी, उसकी आंखें डरी हुई थीं. फिर रोशचिना ने खाना-पीना बिल्कुल बंद कर दिया. वह शौचालय के पास एक पर्दे के पीछे मुड़ी हुई पड़ी रहती थी.'

'रोशचिना का वजन 30 किलोग्राम तक कम हो गया. वह खड़ी हो सकती थी, लेकिन केवल मेरी मदद से क्योंकि वह ऐसी स्थिति में थी कि वह अपना सिर तकिए से भी नहीं उठा सकती थी.'

बताया गया कि तब तक उसके परिवार को उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, जब तक कि नौ महीने बाद मॉस्को ने आखिरकार स्वीकार नहीं किया कि वह उसे हिरासत में रखे हुए हैं.

अगस्त के अंत में रोशचिना को घर फोन करने की अनुमति दी गई. उसके माता-पिता को यूक्रेनी वार्ताकारों ने बताया कि वह भूख हड़ताल पर है.

'मां, पिताजी, मैं आपसे प्यार करती हूं'
फोन पर रोशचिना रूसी भाषा में बात कर रही थी. उन्होंने उन्हें बताया, 'मुझसे वादा किया गया था कि मैं सितंबर में घर आ जाऊंगी.' उनके पिता ने उन्हें खाने के लिए कहा. फिर उन्होंने अलविदा कहा. 'ठीक है, बस इतना ही. अलविदा, अलविदा. मां, पिताजी, मैं आपसे प्यार करती हूं.'

डेटाबेस से गायब
अक्टूबर में युद्ध बंदियों के उपचार के लिए यूक्रेनी समन्वय केंद्र के प्रवक्ता पेट्रो यात्सेंको ने दिल दहला देने वाली खबर का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि रोशचिना की मौत टैगान्रोग हिरासत केंद्र से मॉस्को में ट्रांसफर के दौरान हो गई है.

उस दौरान रूस की तरफ से कई बहाने लगाए गए, लेकिन उनके पिता ने किसी भी बात को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उन्होंने अतिरिक्त जांच का अनुरोध किया है और स्पष्टता की मांग करते हुए पत्र लिखना जारी रखा है, जिसमें टैगान्रोग को भी शामिल किया गया. हालांकि, उन्हें सिजो 2 के निदेशक लेक्सेंडर श्टोडा से केवल दो उत्तर मिले. जनवरी में भेजे गए सबसे हालिया उत्तर में दावा किया गया कि रोशचिना 'डेटाबेस में सूचीबद्ध नहीं है और न ही थी.'

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