Asim Munir: ज्यादातर मामलों में प्रमोशन तब दिया जाता है जब आप और आपकी टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया हो. लेकिन पाकिस्तान और उसकी सरकार के मामले में ऐसा नहीं लगता. ऐसा इसलिए क्योंकि मंगलवार (20 मई) को इस्लामाबाद ने अपने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत कर दिया है. भारत ने पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर चलाकर उसे कई बड़े झटके दिए, लेकिन पाक की ओर सैन्य कार्रवाई को रोकने के लिए प्रयास के बाद संघर्ष विराम किया गया और इसके कुछ दिनों बाद मुनीर को प्रमोशन दे दिया गया.
ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि जैसे पाकिस्तान में अब तक कौन-कौन फील्ड मार्शल बने? हार के बावजूद असीम मुनीर को क्यों सम्मान दे रहा है पाकिस्तान? क्या यह ऑपरेशन सिंदूर में हुए नुकसान का डैमेज कंट्रोल करने का तरीका है?
क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सेना प्रमुख असीम मुनीर के साथ कोई समझौता किया है? ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा पाकिस्तान को पहुंचाए गए नुकसान को देखते हुए मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किए जाने से लोग हैरान हैं. ऐसा संदेह है कि जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से दूर रखने के लिए मुनीर और शरीफ के बीच पर्दे के पीछे कुछ समझौता हुआ है.
फील्ड मार्शल कौन होते हैं?
पाकिस्तान ने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया है. द ट्रिब्यून के अनुसार, फील्ड मार्शल पाकिस्तानी सेना का सर्वोच्च मानद पद है. यह पद पांच सितारों वाला है, जो जनरल से भी ऊपर है. यह पद उन लोगों को दिया जाता है जो 'असाधारण सैन्य नेतृत्व और रणनीतिक उत्कृष्टता' प्रदर्शित करते हैं.
यह ब्रिटिश सैन्य परंपरा पर आधारित है. लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान में शक्तिशाली पद, फील्ड मार्शल रैंक राजनीतिक और संस्थागत होती है. पाक में सेना सबसे शक्तिशाली मानी जाती है.
कुछ काम नहीं लेकिन खास पद
हालांकि पाकिस्तान में इस पद के पास कोई ज्यादा काम करने योग्य अधिकार नहीं होता, लेकिन यह उस शख्स को सेवानिवृत्ति के बाद भी वर्दी पहनने की अनुमति देता है.
इसके अलावा अब मुनीर के आधिकारिक वाहन पर फाइव स्टार से पहचाने जाएंगे और सलामी के दौरान एक विशेष डंडे का उपयोग करने जैसे विशेषाधिकार भी हैं.
शरीफ ने मुनीर के असाधारण सैन्य नेतृत्व, बहादुरी और रणनीतिक कमान की प्रशंसा की है.
ऐसे दूसरे शख्स बने मुनीर
मुनीर को जो प्रमोशन मिला है उससे वे देश के इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे अधिकारी बन गए हैं. इस पद पर पहुंचने वाले पहले और एकमात्र पाकिस्तानी जनरल अयूब खान थे, जिन्होंने सैन्य तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति पद संभालने के एक साल बाद 1959 में खुद को इस पद पर प्रमोट किया था.
मदरसे से फील्ड मार्शल तक
फील्ड मार्शल मुनीर के लिए, यह प्रमोशन उनके करियर में एक बहुत बड़ा बदलाव है. वास्तव में मुनीर देश के पहले मदरसा-शिक्षित पाकिस्तानी सेना प्रमुख हैं. वह अच्छे सैयदों के परिवार से आते हैं, जो अपने वंश को सीधे पैगंबर मोहम्मद से जोड़ते हैं और जो 1947 में पाकिस्तान चले गए थे.
बताया जाता है वह अक्सर पाकिस्तानी सैनिकों से ऐसे लहजे में बात करते हैं जो सैन्य प्रशिक्षण से अधिकांश अधिकारियों के लहजे से काफी अलग है. मुनीर अक्सर युद्ध और उसके उद्देश्यों से ज्यादा धर्म से जुड़ी बात करते हैं और अपनी मूल पंजाबी में बात करते हैं.
मुनीर को गलत समय पर प्रमोशन
पाकिस्तान सरकार द्वारा मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत करने के फैसले ने लोगों को चौंका दिया है. पाकिस्तानी प्रकाशन डॉन के अनुसार, PMO के बयान में कहा गया है, 'पाकिस्तान सरकार ने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने और मरका-ए-हक और ऑपरेशन बन्यानम मरसूस के दौरान उच्च रणनीति और साहसी नेतृत्व के आधार पर दुश्मन को हराने के लिए जनरल सैयद असीम मुनीर (निशान-ए-इम्तियाज मिलिट्री) को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत करने को मंजूरी दे दी है.' हालांकि, हकीकत इससे बिलकुल अलग है. सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि देश के एयरबेस और आतंकी ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा, चीन और तुर्की निर्मित ड्रोन और मिसाइलों के जरिए भारत पर आतंक बरसाने की उसकी कई कोशिशों को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया.
हार को छुपाना मकसद
पाकिस्तान पर जानकारी रखने वाले तिलक देवाशर ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, 'फील्ड मार्शल रैंक आमतौर पर सैन्य जीत के बाद दी जाती है. यह शायद पहली बार है जब किसी हार के बाद यह रैंक दी गई है. ऐसा लगता है कि इसका उद्देश्य उस हार को छुपाना है.' बहरहाल, इरादा जो भी हो, एक बात तो तय है कि मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने से पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर उनकी पकड़ मजबूत होगी और संभावित प्रतिद्वंद्वी किनारे हो जाएंगे.
इसके अलावा, यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या यह पद उन्हें सेवानिवृत्ति की आयु सीमा से छूट देगा या नहीं. मुनीर को पहले ही नवंबर 2023 में 2027 तक के लिए अपने कार्यकाल में विस्तार मिल चुका है, जो सेना प्रमुख की भूमिका के लिए सामान्य तीन साल से बढ़कर पांच साल हो गया है.
फील्ड मार्शल पर क्या है पाकिस्तान का संविधान?
ऐसे देश में जहां जनरलों को अक्सर दंड से मुक्ति मिलती है, फील्ड मार्शल की उपाधि एक कानूनी और राजनीतिक कवच के रूप में काम आ सकती है. कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तानी संविधान में इस पद का कोई उल्लेख नहीं है. न ही पाकिस्तान आर्मी एक्ट ऐसा करता है.
ये तो प्रमोशन सेना विनियमन (1998) के नियम 199 ए के तहत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि किसी जनरल को 'वरिष्ठता या किसी विशिष्ट नियुक्ति की परवाह किए बिना' फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया जा सकता है. सीधे शब्दों में कहें तो यह कदम मुनीर को सेना की मौजूदा कमान संरचना से ऊपर उठाता है-और संभावित रूप से, जवाबदेही से भी ऊपर.
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