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दुनिया में किन देशों के पास 'ड्रैगन' के लड़ाकू विमान, कहीं जल्दीबाजी में तो नहीं खरीद रहे चाइनीज माल?

चीन के J-10CE और JF-17 थंडर जैसे लड़ाकू विमान अब दुनिया भर के कई देशों के आसमान में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं. हालांकि, जंग के मैदान में ये पूरी तरह सफल हैं या भी नहीं. इस पर संदेह बना हुआ है.

दुनिया में किन देशों के पास 'ड्रैगन' के लड़ाकू विमान, कहीं जल्दीबाजी में तो नहीं खरीद रहे चाइनीज माल?
  • पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार ने खरीदे चीनी लड़ाकू विमान
  • बांग्लादेश में J-7 क्रैश होने के बाद चीनी जेट पर उठे कई सवाल

दुनिया में लड़ाकू विमानों का बाजार हमेशा से ही अमेरिका, रूस और यूरोप के दबदबे वाला रहा है. लेकिन, पिछले कुछ सालों में चीन भी एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभरा है. आइए जानते हैं कि कौन-कौन से देश चीनी फाइटर जेट्स खरीद रहे हैं और कहीं कम दाम के चक्कर में खराब फाइटर जेट तो नहीं खरीद रहे.

कौन से देश खरीद रहे हैं चीनी फाइटर जेट?
पाकिस्तान- पाकिस्तान चीन का सबसे पुराना और सबसे बड़ा रक्षा ग्राहक रहा है. पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर JF-17 थंडर फाइटर जेट विकसित किया है, और उसने J-10CE फाइटर जेट भी खरीदा है, जो चीन का एक आधुनिक 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है.

म्यांमार- म्यांमार ने JF-17 थंडर फाइटर जेट्स खरीदे हैं, जो उसकी वायुसेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
नाइजीरिया- अफ्रीकी देश नाइजीरिया ने भी JF-17 थंडर फाइटर जेट्स को अपनी वायुसेना में शामिल किया है.
अजरबैजान- अजरबैजान ने भी JF-17 थंडर जेट्स खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है और कुछ खरीदे भी हैं.

अतीत में इन देशों को बेचा लड़ाकू विमान
चीन ने अतीत में अपने पुराने J-7/F-7, जो रूस के मिग-21 पर आधारित हैं और J-6/F-6 जो मिग-19 पर आधारित हैं. जैसे फाइटर जेट्स कई देशों को बेचे हैं, जिनमें बांग्लादेश, मिस्र, ईरान, सूडान, जिम्बाब्वे, तंजानिया आदि शामिल हैं. ये जेट्स उनकी वायुसेना के शुरुआती बेड़े का हिस्सा बने. हालांकि, इनमें कई खामियों के चलते क्रैश भी हुए. हाल ही में, बांग्लादेश की वायुसेना में शामिल चाइनीज J-7 लड़ाकू विमान क्रैश कर गया था. जिसे चीन ने बेचने के एक साल बाद ही एक्सपायर बता दिया था.

क्यों चीनी जेट बन रहे हैं कई देशों की पसंद?
चीनी लड़ाकू विमान आमतौर पर अमेरिकी, यूरोपीय या यहां तक कि रूसी समकक्षों की तुलना में काफी सस्ते होते हैं. साथ ही, पश्चिमी देशों के हथियार सौदों में अक्सर राजनीतिक शर्तें और मानवाधिकार संबंधी चिंताएं जुड़ी होती हैं. चीन आमतौर पर ऐसी शर्तों के बिना हथियार बेचता है, जो कई देशों को पसंद आता है.

वहीं, जिन देशों को पश्चिमी या रूसी आपूर्तिकर्ताओं से हथियार खरीदने में दिक्कतें आती हैं उनके लिए चीन एक बेहतर विकल्प बन जाता है.

हालांकि, चीन के लड़ाकू विमान जंग के मैदान में ट्रायल नहीं हुए हैं. चीन के हथियार कबाड़ निकलेंगे यह आने वाला वक्त ही बताएगा. वैसे J-7 क्रैश की घटना के बाद बांग्लादेश जैसे देश समझ चुके हैं कि चीन ने उन्हें किस तरह चूना लगाया है.

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