vatican city pope rule: वेटिकन सिटी के पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है. उनके निधन के साथ ही एक विशेष प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें सबसे पहले उनसे जुड़ी दो चीजों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाता है. ये दोनों प्रतीक पोप की आध्यात्मिक और प्रशासनिक शक्ति के प्रतीक होते हैं, ऐसे में अंतिम संस्कार के दौरान पारंपरिक रिवाज निभाए जाते हैं, जिनमें अब कुछ बदलाव किए गए हैं. पोप की इच्छा के अनुसार, उन्हें वेटिकन के बाहर सेंट मैरी मेजर बेसिलिका में दफनाया जाएगा.
वेटिकन सिटी के पोप का निधन
वेटिकन सिटी के सर्वोच्च धार्मिक नेता पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है. पोप के निधन के साथ ही वेटिकन प्रशासन एक विशेष प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ता है. इस प्रक्रिया की शुरुआत होती है, जब वेटिकन के वरिष्ठ प्रशासक कैमरलेंगो उनकी मृत्यु की औपचारिक घोषणा करते है.
कैमरलेंगो द्वारा शव की जांच कराई जाती है, जिसे वेटिकन की स्वास्थ्य सेवा के प्रमुख डॉक्टर अंजाम देते हैं. मौत के कारण की पुष्टि के बाद, पोप के पार्थिव शरीर को सफेद कपड़े पहनाकर उनके निजी चैपल में श्रद्धांजलि के लिए रखा जाता है. ऐसे में उनसे जुड़ी दो चीजों को अलग रख दिया जाता है.
पोप से जुड़ी होती हैं ये दो चीजें
हर पोप के पास दो प्रमुख चिन्ह होते हैं. ‘रिंग ऑफ द फिशरमैन’ और ‘पापल सील’. ये दोनों ही पोप की प्रशासनिक और धार्मिक शक्ति के प्रतीक होते हैं. इनका प्रयोग दस्तावेजों की मंजूरी और पोप के अधिकारों को दर्शाने के लिए किया जाता है. पोप के निधन के साथ ही इन दोनों प्रतीकों को तुरंत नष्ट कर दिया जाता है. यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि कोई व्यक्ति इनका दुरुपयोग न कर पाए और पोप के नाम पर झूठे निर्णय या दस्तावेज जारी न किए जा सकें.
इन्हें नष्ट करने की क्या है वजह?
बता दें, ‘रिंग ऑफ द फिशरमैन’ हर नए पोप के कार्यकाल की शुरुआत में विशेष रूप से तैयार की जाती है. यह अंगूठी सोने या चांदी की होती है, जिस पर पोप का नाम और प्रतीक खुदा होता है. इस अंगूठी को कैमरलेंगो की निगरानी में कार्डिनल्स की उपस्थिति में हथौड़े या कटर से नष्ट कर दिया जाता है.
इसी तरह, पापल सील, जो दस्तावेजों को प्रमाणित करने के लिए इस्तेमाल होती है, उसे भी तोड़ा या पिघलाकर नष्ट किया जाता है. इन प्रतीकों को नष्ट करने का मुख्य उद्देश्य पोप की मृत्यु के बाद उनके अधिकारों के प्रतीकों को निष्क्रिय करना होता है. यह परंपरा इस बात की गारंटी देती है कि पोप की पहचान का कोई अनुचित उपयोग न हो.
इसके पीछे ऐतिहासिक और सुरक्षा दोनों तरह के कारण हैं. रिंग और सील के जरिए अतीत में आधिकारिक आदेश और दस्तावेज जारी किए जाते थे, इसलिए इनके सुरक्षित नष्ट होने से किसी भी प्रकार की फर्जी गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है.
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