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हमास का चीफ बन सकता है ये शख्स, खुद नेतन्याहू ने एक बार क्यों बचाई उसकी जान?

Khaled Mashal: ईरान की राजधानी तेहरान में हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि खालिद मशाल हमास के नए चीफ बन सकते हैं. रिपोर्ट्स की मानें, तो एक बार इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को न चाहते हुए भी खालिद मशाल की जान बचानी पड़ी थी. आइए जानते हैं इस रोचक किस्से के बारे में. 

हमास का चीफ बन सकता है ये शख्स, खुद नेतन्याहू ने एक बार क्यों बचाई उसकी जान?
  • नेतन्याहू ने बचाई थी खालिद मशाल की जान 
  • सितंबर 1997 की है घटना 
     

नई दिल्लीः Khaled Mashal: बीते दिनों ईरान की राजधानी तेहरान में फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई. इस हत्या के पीछे हमास ने इजरायल के खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ बताया लेकिन इजरायल ने अभी तक इस हत्या की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है. इस्माइल हानिया की हत्या के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि खालिद मशाल हमास के नए चीफ बनाए जा सकते हैं. 

नेतन्याहू ने बचाई थी खालिद मशाल की जान 
बता दें कि ये वही खालिद मशाल है, जिसकी जान कभी इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बचाई थी. इसके पीछे की कहानी बहुत दिलचस्प है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सामने ऐसी क्या बात आ गई कि उन्होंने खुद अपने जानी दुश्मन की जान बचाई. रिपोर्ट्स की मानें, तो साल 1997 में बेंजामिन नेतन्याहू के आदेश पर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने खालिद मशाल को कान के जरिए जहर का इंजेक्शन दे दिया था. 

सितंबर 1997 की है घटना 
ये घटना सितंबर 1997 में घटी थी. जहर देने के बाद खालिद मशाल की तबीयत धीरे-धीरे खराब होने लगी थी और चार दिनों बाद वह बेहोश हो गया. मोसाद की इस कार्रवाई से जॉर्डन के राजा हुसैन बहुत नाराज हो गए थे और उन्होंने तय कर लिया था अगर खालिद मशाल की मौत होती है, तो वे इजरायलियों के खिलाफ केस चलाएंगे और अगर एजेंट दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा. 

न चाहते हुए भी देनी पड़ी थी एंटीडॉट 
तब इस मामले में इजरायल और उसके अरब के दुश्मन देशों के बीच समझौता कराने के लिए मध्यस्थता कर रहे अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू पर दबाव डाला कि वे जल्द से जल्द मशाल को एंटीडॉट दें. अमेरिका राष्ट्रपति के दबाव के बाद न चाहते हुए भी नेतन्याहू ने मशाल को एंटीडॉट दिलाई. तब जाकर मशाल की जान बची. इस घटना के बाद नेतन्याहू ने अस्मान जाकर हुसैन से माफी भी मांगी थी. 

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