Demand for sindhustan in pakistan: पाकिस्तान की हालत पस्त है. आए दिन देश के किसी कोने से विरोध की आवाज उठती है. यह आवाज केवल अपने हकों के लिए ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान से पूरी तरीके से आजादी की आवाज होती है. हालात यूं हो गए हैं कि लोग पाकिस्तान के टूट जाने के कयास लगा रहे हैं. इन दिनों पाकिस्तान की धरती पर अशांति और बिखराव की आग भड़क रही है. बलूचिस्तान में विद्रोह, सिंध में स्वतंत्रता की मांग, खैबर पख्तूनख्वा में टकराव, और गिलगिट- बाल्टिस्तान व पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में बढ़ता असंतोष बढ़ता जा रहा है. ऐसे में हाल की घटनाओं और विशेषज्ञों की राय बताती है कि अगर यही स्थिति रही, तो पाकिस्तान कई टुकड़ों में बंट सकता है.
बलूचिस्तान की आजादी की जंग
बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है. यह दशकों से स्वतंत्रता की मांग कर रहा है. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) और बलूच राजी आजोही संगार (BRAS) जैसे संगठन 2000 से यहां पर एक्टिव हैं. यह संगठन केवल पाकिस्तान से आजादी के लिए बने हैं. वहीं, इस साल 2025 में इनके हमले काफी तेज हो गए हैं. मार्च 2025 में BLA ने जफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर 450 यात्रियों को बंधक बनाया, जिसमें कई पाकिस्तान आर्मी से जुड़े लोगों की मौत हुई.
वहीं, बलूच नेताओं का दावा है कि पाकिस्तानी सेना और ISI बलूचियों पर अत्याचार कर रहे हैं. हजारों लोग लापता हैं, और कई के शवों पर यातना के निशान मिले हैं. बलूच विद्रोही पंजाबी वर्चस्व और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के तहत संसाधन शोषण के खिलाफ लड़ रहे हैं. वे स्वतंत्र बलूचिस्तान गणराज्य की मांग कर रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र व भारत से मान्यता की अपील भी कर चुके हैं.
हाल ही में 14 मई 2025 को बलूच नेताओं ने औपचारिक रूप से बलूचिस्तान की आजादी की घोषणा की. मीर यार बलूच जैसे नेताओं ने बकायदे सांकेतिक झंडे और संसद की तस्वीर भी पेश की. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर दुनिया से बलूचिस्तान को समर्थन मिला, तो यह कभी भी पाकिस्तान से आजाद हो सकता है.
सिंधुदेश की मांग और बढ़ता असंतोष
पाकिस्तान से अलग देश बनने की मांग सिंध प्रांत में भी जोरों पर है. बता दें, सिंध प्रांत में सिंधुदेश रिवॉल्यूशनरी आर्मी (SRA) और जिय सिन्ध कौमी महाज जैसे संगठन आजाद ‘सिंधुदेश’ की मांग कर रहे हैं. 2020 में इन संगठनों पर प्रतिबंध लगा, लेकिन 2025 में आंदोलन ने फिर जोर पकड़ लिया है.
हाल ही में सिंध की राजधानी कराची में हिंसा बढ़ी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2006 से 2013 तक हिंसा में दस गुना वृद्धि हुई, जिसमें सांप्रदायिक, आतंकी और आपराधिक गतिविधियां शामिल हैं. यहां भी पंजाबी वर्चस्व का विरोध है. सिंधी लोग पंजाबी-प्रधान सरकार पर संसाधनों के शोषण और उपेक्षा का आरोप लगाते हैं. 2010 के सर्वे में केवल 55% सिंधियों ने खुद को पाकिस्तानी माना, जबकि 28% ने सिंधी पहचान चुनी.
खैबर पख्तूनख्वा: पश्तूनिस्तान की मांग
आजादी की मांग अफगान सीमा पर भी उठी है. बड़ी संख्या में पश्तून सामाज के लोग डूरंड लाइन को नहीं मानते हैं. वह खुद को अफगानिस्तान के करीब पाते हैं. जिसको लेकर 1947 में बंटवारे के वक्त भी आवाज बुलंद की गई थी. ऐसे में एक बार फिर खैबर पख्तूनख्वा में आजादी की मांग तेज हो गई है. कई इलाकों में विद्रोही गुट सशस्त्र संघर्ष कर रहे हैं.
वहीं, पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट (PTM) और पुराने खुदाई खिदमतगार आंदोलन की प्रेरणा से पश्तून स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. 1947 में पश्तून नेताओं ने स्वतंत्र पश्तूनिस्तान की मांग की थी, जिसे ब्रिटिश ने खारिज कर दिया था. खैबर पख्तूनख्वा में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) सक्रिय हैं. 2024 में TTP ने कई हमले किए. जिसमें पाकिस्तानी सेना के कई जवाने मारे गए. दोनों के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिल रहा है. दूसरी ओर, PTM ने सेना पर पश्तूनों के खिलाफ अत्याचार और जबरन गायब करने का आरोप लगाया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में यहां हुई हिंसा में 216 लोग मारे गए, जिसमें 61 नागरिक शामिल थे.
भारत के अभिन्न हिस्से में बढ़ता असंतोष
इतना ही नहीं, भारत के अभिन्न हिस्से पीओके में भी पाकिस्तान के खिलाफ बेहद नाराजगी देखने को मिली है. यहां कई गुट चीन के सीपीईसी (CPEC) का विरोध करते रहे हैं. बता दें, भारत ने 1994 में संसद में प्रस्ताव पारित कर गिलगिट-बाल्टिस्तान और PoK को जम्मू-कश्मीर का हिस्सा माना, जो भारत का एक अभिन्न हिस्सा है.
इसके इतर, गिलगिट-बाल्टिस्तान में शिया आबादी (करीब 80%) केंद्र सरकार के पंजाबी वर्चस्व और CPEC के तहत चीनी प्रभाव का विरोध कर रही है. वहीं, 1974 में अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित करने से भी तनाव काफी बढ़ा है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोग सेना की ज्यादतियों, जैसे जबरन गायब करना और जमीन हड़पने, की शिकायत करते हैं. यहां बलवारिस्तान नेशनल फ्रंट जैसे संगठन स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं. 2019 में इसके नेता अब्दुल हमीद खान ने आत्मसमर्पण किया, लेकिन आंदोलन कमजोर नहीं हुआ.
पाकिस्तान से आजादी क्यों चाहते हैं?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, और बलूचिस्तान, सिंध, और खैबर पख्तूनख्वा में हिंसा ने सरकार की साख को कमजोर किया है. 2024 में ACLED ने पाकिस्तान को दुनिया के 12वें सबसे हिंसक देश के रूप में रैंक किया.
वहीं, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में TTP, ISKP, और BLA जैसे संगठनों के ठिकाने हैं. ये समूह न केवल सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं, बल्कि पंजाबी और चीनी नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं. दूसरी ओर पंजाब, जो 50% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है. वे सेना, नौकरशाही और अर्थव्यवस्था पर हावी हैं. इससे अन्य प्रांतों में काफी असंतोष बढ़ा है.
ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति रही, तो पाकिस्तान पांच टुकड़ों में बंट सकता है. पंजाब, बलूचिस्तान, सिंधुदेश, खैबर पख्तूनख्वा (पश्तूनिस्तान), और PoK (जो भारत में शामिल हो सकता है). वहीं, सिंधुदेश सिंध में स्वतंत्रता की मांग बढ़ रही है. SRA ने कराची में हमले तेज किए हैं, और स्थानीय लोग इसे पंजाबी शोषण के खिलाफ विद्रोह मानते हैं. अगर यह आंदोलन सफल हुआ, तो सिंधुदेश एक स्वतंत्र देश बन सकता है.
इतना ही नहीं, बलूचिस्तान के आजाद होने की संभावना प्रबल है. यहां की अवाम में पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ बेहद रोष है. डॉक्टर महरंग बलोच की गिरफ्तारी के बाद यहां लोगों ने सरकार के खिलाफ कई रैलियां निकाली हैं. वहीं, BLA और BRAS जैसे संगठनों के हमले काफी तेज हो गए हैं.
ये भी पढ़ें- भारत के समर्थन में उतरे दुनिया के 2 ताकतवर देश, ऑपरेशन सिंदूर की जमकर तारीफ; शहबाज की उल्टी गिनती शुरू!
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.