Hamirpur News(अरविंदर सिंह): कभी फलों की खेती के लिए अनुपयोगी माने जाने वाले प्रदेश के निचले क्षेत्रों में भी अब एचपीशिवा परियोजना के कारण अमरूद, मौसम्बी तथा नींबू प्रजाति के अन्य फलों के बागीचे तैयार होने लगे हैं और इसमें मुख्यमंत्री का अपना गांव भवड़ां एक मिसाल बनकर उभरा है. नादौन क्षेत्र के इस गांव की पथरीली और बंजर जमीन पर अब मौसम्बी का बागीचा लहलहाने लगा है.
लगभग ढाई वर्ष पूर्व प्रदेश की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री ने उद्यान विभाग के अधिकारियों को गांव भवड़ां की बंजर एवं पथरीली जमीन पर फलों के बागीचे विकसित करने की संभावना तलाशने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार गांव भवड़ां को वर्ष 2023 में एचपीशिवा परियोजना के अंतर्गत लाया गया.
इसी परियोजना के शुरुआती दौर में गांव के 7 किसानों की लगभग 25 कनाल भूमि को पौधारोपण के लिए तैयार किया गया. मनरेगा कनवर्जेंस के माध्यम से भी यह कार्य किया गया और मौसम्बी के सैकड़ों के पौधे लगाए गए.
आज मात्र 2 वर्ष बाद ही इन छोटे-छोटे पौधों पर काफी अच्छे फल लग गए हैं. मौसम्बी से लक-दक छोटे-छोटे पौधों को देखकर गांव के किसान और विशेषकर महिला किसान अत्यंत प्रसन्न हैं.
गांव की महिला किसान सुदर्शना देवी ने बताया कि उनकी लगभग 10 कनाल जमीन कई वर्षों से बंजर पड़ी हुई थी. इस पर फसलें तो दूर, घास भी ठीक से नहीं उगती थी. लेकिन, एचपीशिवा परियोजना ने इस बंजर जमीन की तस्वीर एवं तकदीर ही बदल दी है.
इसी प्रकार, गांव की एक अन्य किसान सपना देवी ने बताया कि उनकी लगभग 5 कनाल बंजर भूमि पर भी अब मौसम्बी के पौधे लहलहा रहे हैं. यह मुख्यमंत्री द्वारा आरंभ की गई एचपीशिवा परियोजना के कारण ही संभव हो पाया है.
उन्होंने बताया कि गांव के किसान मौसम्बी के पौधों के बीच खाली जमीन पर अन्य नकदी फसलें भी लगा रहे हैं. इनमें पपीते के पौधे भी शामिल हैं.
सुदर्शना देवी और सपना देवी कहना है कि एचपीशिवा परियोजना गांववासियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है और परियोजना के शुरुआती दौर में ही इसके काफी अच्छे परिणाम नजर आ रहे हैं. इससे गांववासी काफी उत्साहित हैं और अन्य फलदार पौधे लगाने के लिए भी प्रेरित हो रहे हैं.