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Chamunda Nandikeshwar Dham: भगवान शिव ने किया था मां चामुंडा का क्रोध शांत, हर दिन जलता है शव या पुतला

Himachal News: हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में बनेर खड्ड के मुहाने पर चामुंडा मंदिर है. यहां भगवान शिव भी पिंडी रूप में स्थापित हैं, इसलिए इस जगह को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है.

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Chamunda Nandikeshwar Dham: भगवान शिव ने किया था मां चामुंडा का क्रोध शांत, हर दिन जलता है शव या पुतला
Raj Rani|Updated: Apr 01, 2025, 05:20 PM IST
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Dharamshala News(विपन कुमार): मां शक्ति स्वरूपा मां चामुंडा का नाम चंड मुंड नाम के राक्षसों का संहार करने के बाद पड़ा है. चामुंडा मंदिर हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में बनेर खड्ड के मुहाने पर है. यह स्थल अति रमणीय है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सालभर यहां पर श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है. मां का भव्य मंदिर बना है. यहां पर भगवान शिव भी पिंडी रूप में स्थापित हैं, इसलिए इस जगह को चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है. स्थानीय लोगों की आस्था है कि देवी चामुंडा का यह मंदिर ‘भगवान शिव और माता शक्ति’ का एक ऐसा निवास स्थल है, जहां वे अपने विश्व भ्रमण के दौरान विश्राम करते हैं.

भगवान शिव ने मां चामुंडा का क्रोध शांत किया था. जब मां ने चंड और मुंड का वध किया था तो मां बहुत गुस्से में थी, जिससे स्थानीय जनता भयभीत थी और मां के गुस्से से भयभीत जनता ने खुद ही परिवार से एक व्यक्ति बलि के लिए देना सुनिश्चित कर दिया था. एक दिन जब एक महिला के बेटे की बारी आई तो उस महिला ने बेटे को भगवान शिव की अराधना से प्राप्त किया था. 

उसने अपने बेटे को बलि के लिए भेज दिया और भगवान शिव से बच्चे की रक्षा करने की अराधना की. भगवान शिव ने बलि के लिए जा रहे बच्चे को खुद बच्चे का रूप धारण कर बातों में लगा दिया और खेलने लगे. ऐसे में बलि में बिलंब पर माता चामुंडा बिफर गईं और गुस्सा बढ़ने लगा तो वहीं पहुंच गईं, जहां पर भगवान शिव बालक रूप बनाकर बच्चे से खेल रहे थे.

बच्चे ने गुस्से में देख माता को कहा कि मैं तो आ रहा था पर इसने ही रोक दिया. ऐसे में शिव ने बच्चे के रूप में माता को और क्रोधित कर दिया. ऐसे में माता ने बलि को आए बच्चे को छोड़ शिव का पीछा करना शुरू किया. शिव पर विशाल पांच पत्थर बरसाए जिनमें से कुछ पत्थर आज भी विराजमान है. इनमें से एक पत्थर को शिव ने उंगली पर उठा लिया. माता यह देख तब कुछ शांत हुई तो समझ गई की सामने तो शिव हैं. 

उन्होंने शिव से माफी मांगी. ऐसे में शिव भगवान ने मां चामुंडा व खुद को उसी जगह स्थापित होने को कहा. यह परंपरा आज भी चल रही है बलि के रूप में शव कहीं से न आए तो यहां तीर्थ मोक्षधाम में घास का पुतला जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है. अब दूर दूर के गांव के लोग यहां स्थापित मोक्षधाम में अपने स्नेहजन मृतक का शव जलाने आते हैं. जिस दिन कोई शव न आए उस दिन यहां पर पुतला जलाया जाता है.

मां चामुंडा की आरतियों का अपना महत्व है. गर्मियों में मां का स्नान व श्रृंगार सुबह पांच बजे और शाम को पांच बजे तथा सर्दियों में सुबह साढ़े छह बजे और साढ़े चार बजे किया जाता है. गर्मियों में मां चामुंडा मंदिर में आरती का समय सुबह आठ बजे, रात्रि आठ बजे और सर्दियों में सुबह साढ़े आठ बजे रात्रि साढ़े छह बजे. शैय्या आरती गर्मियों में रात को 10 बजे और सर्दियों में नौ बजे की जाती है.

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