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हिमाचल में आपदा प्रबंधन को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अधिकारियों के साथ बैठक

मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि आपदा को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल में दूसरी बार बैठक बुलाई. साल 2023 में बड़ी आपदा प्रदेश में आई थी और इस साल बरसात की शुरुआत में ही बड़ा नुकसान हुआ है.

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हिमाचल में आपदा प्रबंधन को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अधिकारियों के साथ बैठक
Raj Rani|Updated: Jul 07, 2025, 05:00 PM IST
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Shimla News(अंकुश डोभाल): हिमाचल प्रदेश में मानसून आने के साथ ही आपदा का मंजर देखने को मिला. प्रदेश में अब तक 700 करोड़ से ज्यादा का नुकसान आंका आ गया है. प्रदेश में मौसमी आपदा को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शिमला प्रदेश सचिवालय में अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. बैठक में प्रदेश में बरसात से हो रहे नुकसान की समीक्षा की गई और आने वाले दिनों में आपदा से निपटने के लिए भी विमर्श किया गया. 

नरेश चौहान ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आपदा में राहत बचाव कार्य करने और आगामी दिनों के लिए तैयारी के निर्देश दिए हैं. प्रदेश में बार-बार आ रही आपदाओं के पीछे के कारणों की रिसर्च के लिए गृह मंत्री अमित शाह और IIT पुणे को पत्र लिखा है.

मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि आपदा को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने कार्यकाल में दूसरी बार बैठक बुलाई. साल 2023 में बड़ी आपदा प्रदेश में आई थी और इस साल बरसात की शुरुआत में ही बड़ा नुकसान हुआ है. मंडी में बादल फटने से बड़ी प्राकृतिक आपदा आई है. साल 2025 में प्रदेश में 23 फ्लैश फ्लड और 19 जगह बादल फटे हैं. 730 लोग 13 कैंपों में रह रहे हैं. 

प्रदेश को 700 करोड़ के करीब का नुकसान हुआ है. मंडी में 123 और शिमला में 105 प्रतिशत सामान्य से अधिक बारिश हुई. नरेश चौहान ने कहा कि हिमाचल में प्राकृतिक आपदा का क्रम बन गया है. आपदाओं के कारणों की रिसर्च के लिए मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री अमित शाह और IIT पुणे को पत्र भी लिखा है.

नरेश चौहान ने कहा कि सरकार ने 819 करोड़ की डिजास्टर रिस्क को लेकर योजना बनाई है. इस पर काम चल रहा है. SDRF को मजबूत करने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश सरकार प्रदेश में 70 हज़ार लोगों को सिविल डिफेंस की ट्रेनिंग देगी. नरेश चौहान ने बताया कि बैठक में फैसला लिया गया है कि किसी भी प्रोजेक्ट की शुरुआत से पहले साइंटिफिक रूप से डंपिंग साइट ढूंढना आवश्यक होगा. बड़े कमर्शल निर्माण के लिए TCP से परमिशन लेनी होगी. 

उन्होंने कहा कि 2023 से अब तक प्रदेश में 25,000 घरों को आपदा में नुकसान पहुंचा है. लिहाज़ा भवन निर्माण को लेकर लोगों में मापदंडों और जरूरी नियमों का पालन करने के लिए जागरूकता लाने का सरकार प्रयास करेगी. नरेश चौहान ने कहा कि कल मुख्यमंत्री मंडी जिला के आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे. PWD के मंत्री और उप मुख्यमंत्री आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगले दो से चार दिनों में जमीन पर काम दिखाई देगा.

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