Nahan News(देवेंदर वर्मा): पिछले लंबे समय से चली आ रही 108 और 102 कर्मचारियों की मांगों को लेकर पिछले कल शिमला में हुई यूनियन राज्य कमेटी की बैठक में 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल करने का निर्णय लिया गया. इसी कड़ी में सीटू के बैनर तले आज बस अड्डा नाहन से उपायुक्त कार्यालय तक रोष रैली निकाली गई.
मीडिया से बात करते हुए 108 कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी प्रबंधन और सरकार से न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग की जा रही है मगर सरकार उनकी मांग करने को तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि लेबर लॉ के मुताबिक ना तो उनको सही वेतन दिया जा रहा है. वहीं उन्हें 8 घंटे की बजाय 15 से 18 घंटे तक ड्यूटी देनी पड़ती है और कोई ओवरटाइम का पैसा उनको नहीं दिया जाता है. जिसके कारण वह लोग ना तो परिवार को पर्याप्त समय दे पा रहे हैं और ना ही सही तरह से परिवार का पालन पोषण कर पा रहे हैं.
कर्मचारियों ने बताया कि 108 और 102 एम्बुलेंस का मुरम्मत कार्य कभी भी समय पर नहीं करवाया जाता है और एंबुलेंस चालकों को कई बार परेशानियों से जूझना पड़ता है साथ ही उन पर जबरन एंबुलेंस चलाने के लिए चालकों पर दबाव डाला जाता है. कर्मचारियों का यह भी कहना है कि उनके लिए छुट्टी का भी कोई विशेष प्रावधान नहीं है और कई बार दो-दो सप्ताह तक एक भी अवकाश उनको नहीं मिल पाता है.
वहीं सीटू के जिला महासचिव आशीष कुमार ने बताया कि हिमाचल प्रदेश 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मचारी ने अपनी मांगों को लेकर कई बार स्वास्थ्य विभाग और प्रबंधन से अपील की मगर कोई समाधान नहीं हुआ. जिसके कारण मजबूरन इन कर्मचारियों को यह 24 घंटे की सांकेतिक हड़ताल करने का निर्णय लेना पड़ा जिसके लिए प्रबंधन जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि 108 कर्मचारी पिछले 15 सालों से जबकि 102 कर्मचारी पिछले 10 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं मगर इन कर्मचारियों के बारे में ना तो बीजेपी सरकार ने और ना ही कांग्रेस सरकार ने कोई नीति बनाई है जो की दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि यह वह वॉरियर्स है जिन्होंने कोरोना के समय में अपनी सेवाएं दी है जब किसी के सगे संबंधी भी पीड़ित को हाथ लगाने से गुरेज करते थे.
उन्होंने कहा कि आज इस हड़ताल के माध्यम से एनएचएम और मेड्सवान फाउंडेशन को श्रम कानून को लागू करने का आग्रह किया जा रहा है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में यह हड़ताल अनिश्चितकालीन होगी. उन्होंने बताया कि आज की इस हड़ताल में उनके साथ किसान सभा जनवादी महिला समिति और कई अन्य संगठन के लोग भी इन कर्मचारियों का सहयोग कर रहे हैं.