Himachal Pradesh/विजय भारद्वाज: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर की प्रसिद्ध गोबिंदसागर झील का पानी फिलहाल पीने योग्य नहीं है. एचपी स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से करवाई गई जांच में झील के पानी की गुणवत्ता ''B'' श्रेणी में पाई गई है, जिसे देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सीवरेज का प्रभाव समाप्त हो जाए और कोलीफार्म बैक्टीरिया नियंत्रित हो जाएं तो इस पानी को पीने योग्य बनाया जा सकता है.
गौरतलब है कि बिलासपुर शहर के सीवरेज का गंदा पानी गोबिंदसागर झील में मिल रहा है, जिसके चलते झील की जल गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है. वहीं जांच में यह भी पाया गया है कि झील के पानी में टोटल कोलीफार्म ऑर्गेनिज्म की मात्रा बढ़कर 540 एमपीएन प्रति 100 एमएल पहुंच गई है जो की सुरक्षा मानकों के अनुसार अधिकतम 50 एमपीएन प्रति 100 एमएल तक होनी चाहिए थी.
इस मामले की जानकारी देते हुए एचपी स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बिलासपुर के क्षेत्रीय अधिकारी पवन शर्मा ने बताया कि झील का पानी सीवरेज प्रदूषण के कारण पीने योग्य नहीं रह गया है. यदि सीवरेज प्रणाली को सही तरीके से प्रबंधित किया जाए और जल को ठीक से ट्रीट किया जाए तो इसकी गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा की आने वाले समय में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नगर परिषद द्वारा किए जा रहे ड्रेंस व जलशक्ति विभाग की सीवरेज प्रणाली का निरीक्षण कर पानी के सैंपल भरेगा, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद निर्णायक कदम उठाए जाएंगे.
बता दें कि 170 वर्ग किलोमीटर में फैली यह झील भाखड़ा बांध के बनने से अस्तित्व में आयी थी और यह झील ना केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पड़ोसी राज्यों के लिए भी जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत मानी जाती है. ऐसे में झील की गिरती गुणवत्ता स्थानीय लोगों और पर्यावरण विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय बन गई है. इसलिए झील को प्रदूषण से बचाने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को प्रभावी ढंग से संचालित करना जरूरी हो गया है ताकि सीवरेज से निकलने वाले गंदे पानी को झील में मिलने से रोका जा सके. वहीं इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता तो वह दिन दूर नहीं जब यह झील दूषित जलाशयों की सूची में शामिल हो जाएगा और गोविंद सागर झील का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा.