Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का दो वर्षों से अधिक का कार्यकाल पूरा हो चुका है. एक तरफ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इन दो सालों में राज्य सरकार की 10 में से 6 गारंटियों को पूरा करने का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेता मौजूदा सरकार पर इन दो सालों में पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में खोले गए एक हजार से अधिक संस्थानों को बंद करने का आरोप लगा रहे हैं.
ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा लिए गए एक और निर्णय को लेकर बयानबाजी का दौर गरमा गया है. जी हां हिमाचल सरकार द्वारा प्रदेश के शक्तिपीठों व मंदिरों में चढ़ने वाले चढ़ावे को अब सरकारी कोष में जमा करवाने के निर्देश जिलाधीश को दिए गए हैं, जो की प्रदेश के विकास कार्यों पर खर्च होंगे. वहीं सरकार के इन आदेशों को लेकर जहां पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर राजीव बिंदल ने सरकार को घेरा है तो दूसरी ओर मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं ने भी इस निर्णय पर आपत्ति जताई है.
वहीं बात करें बिलासपुर स्थित शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर की तो पंजाब, हरियाणा व दिल्ली सहित देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है की मंदिर ट्रस्ट को चढ़ावे के रूप में जो धनराशि प्राप्त होती है उसे मंदिर के विकास व श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर ही खर्च करना चाहिए ना की अन्य कार्यों पर.
साथ ही उन्होंने कहा कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पीने का स्वच्छ जल, सफाई व्यवस्था व भंडारे जैसी सुविधाएं होनी चाहिए, साथ ही मंदिर तक पहुंचने के लिए अच्छी सड़क सुविधा व शौचालय सुविधा की भी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई समस्या ना हो.
बता दें कि शक्तिपीठ श्री नैनादेवी मंदिर में हर वर्ष नवरात्रों के उपलक्ष्य पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां नैनादेवी के दर्शनों के लिए आते हैं और चढ़ावे के रूप में मंदिर ट्रस्ट को करोड़ों रुपये की धनराशि व सोने चांदी का चढ़ावा प्राप्त होता है.