Himachal Weather Update: हिमाचल प्रदेश में आज, 25 फरवरी 2025 से एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) सक्रिय हो रहा है, जो 2 मार्च तक राज्य के मौसम को प्रभावित करेगा. इस दौरान, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और निचले इलाकों में मूसलाधार बारिश की संभावना है. मौसम विभाग के अनुसार, यह पश्चिमी विक्षोभ पिछले विक्षोभों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है और इसका प्रभाव लंबे समय तक रहेगा.
मौसम विभाग ने मौजूदा हालात को देखते हुए 27 और 28 फरवरी के लिए हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. यह चेतावनी चंबा, कांगड़ा और कुल्लू जिलों के लिए दी गई है, जहां इन दो दिनों के दौरान कुछ अंतराल में भारी हिमपात होने की संभावना है.
इसके अलावा, मंडी, शिमला, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिलों में भी भारी बर्फबारी की आशंका के चलते येलो अलर्ट घोषित किया गया है. स्थानीय प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाने की अपील की है.
आज 8 जिलों में येलो अलर्ट जारी
हिमाचल प्रदेश के 8 जिलों ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, कुल्लू, कांगड़ा, चंबा, मंडी और शिमला में आज भारी बारिश और बर्फबारी को लेकर येलो अलर्ट घोषित किया गया है.
रात के समय, ऊंचाई वाले इलाकों में बारिश और बर्फबारी की संभावना बनी हुई है. वहीं, अगले दिन किन्नौर और लाहौल-स्पीति को छोड़कर राज्य के बाकी 10 जिलों में भी येलो अलर्ट प्रभावी रहेगा. प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और मौसम की स्थिति पर नजर बनाए रखने की सलाह दी है.
तीन जिलों में शीतलहर का अलर्ट
ऊना, बिलासपुर और हमीरपुर में कड़ाके की ठंड के मद्देनजर शीतलहर को लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया है. इसके अलावा, 1 और 2 मार्च को भी प्रदेश के अधिकतर इलाकों में अच्छी बारिश और हिमपात होने की संभावना जताई गई है.
सर्दी के मौसम में 69% कम वर्षा
मौसम विभाग के अनुमान अगर सही साबित हुए, तो प्रदेश के कई इलाकों में सूखे जैसी स्थिति से राहत मिल सकती है. इस वर्ष सर्दियों के दौरान हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 69 प्रतिशत कम बारिश और बर्फबारी दर्ज की गई है. आमतौर पर, 1 जनवरी से 24 फरवरी के बीच प्रदेश में 166.6 मिलीमीटर औसत वर्षा होती है, लेकिन इस बार मात्र 52.3 मिलीमीटर बारिश हुई है.
सिरमौर में सामान्य से 86% कम वर्षा
सिरमौर जिले में औसत स्तर से 86 प्रतिशत कम वर्षा दर्ज की गई है, जबकि किन्नौर में यह कमी 80 प्रतिशत रही. इस स्थिति का प्रतिकूल प्रभाव न केवल किसानों और बागवानों पर पड़ा है, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी नुकसान उठाना पड़ा है.