Bilaspur News(विजय भारद्वाज): हिमाचल प्रदेश में पर्यटन के नए क्षितिज खुल रहे हैं. पर्वतों और घाटियों तक सीमित परंपरागत पर्यटन से आगे बढ़ते हुए अब प्रदेश जल पर्यटन के क्षेत्र में भी ऐतिहासिक कदम उठा रहा है. गोविंद सागर झील में शुरू हुआ हिमाचल प्रदेश का पहला आइलैंड टूरिज्म प्रोजेक्ट न केवल प्रदेश को एक नए अनुभव से जोड़ेगा, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का नया केंद्र बनेगा.
जी हाँ बिलासपुर स्थित गोविंद सागर झील में चयनित चार आइलैंड्स में से तीन की टेंडर प्रक्रिया अब तक सफलतापूर्वक पूर्ण की जा चुकी है. ज्योरीपतन और धराड़सानी के बाद तीसरे आइलैंड भोलू एवं ज्योर (ज्योरीपतन) का टेंडर भी सार्वजनिक रूप से आवंटित कर दिया गया है. यह टेंडर वीरेन्द्र कुमार निवासी मित्तलघोड़ा चौकी शिमला को 3,15,000 रुपये की उच्चतम बोली पर प्रदान किया गया है जबकि अन्य दो आयरलैंड के टेंडर से सालाना 15 लाख रुपये तक की आय होगी. बता दें की यह परियोजना अंडमान-निकोबार और केरल जैसे प्रसिद्ध टूरिस्ट डेस्टिनेशनों की तर्ज पर विकसित की जा रही है.
इस योजना में झील के भीतर स्थित आइलैंड्स पर बोटिंग, एडवेंचर स्पोर्ट्स, ईको-फ्रेंडली स्टे, सांस्कृतिक गतिविधियों, होटल, रेस्टोरेंट, डेस्टिनेशन वेडिंग, फिशिंग जोन, बोनफायर स्थल और हाइकिंग ट्रेल्स जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी. साथ ही सांध्यकालीन कार्यक्रमों में हिमाचली लोक संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति को वैश्विक मंच मिलेगा. वहीं बिलासपुर में इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे बिना सरकारी बजट से कोई धनराशि खर्च किए, पूर्णतः जनसहभागिता मॉडल पर विकसित किया जा रहा है.
इस बात की जानकारी देते हुए उपायुक्त बिलासपुर आबिद हुसैन सादिक ने कहा कि प्रशासन का उद्देश्य केवल पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार देना, निजी निवेश को प्रोत्साहित करना और प्रशासनिक आत्मनिर्भरता को स्थापित करना भी है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह मॉडल हिमाचल के अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरेगा.
वहीं उपायुक्त ने कहा की स्थानीय विकास और आय की नई संभावनाएं प्रशासन का आकलन है कि इस आइलैंड टूरिज्म परियोजना के माध्यम से भविष्य में वॉटर स्पोर्ट्स, एरो स्पोर्ट्स और अन्य गतिविधियों से स्थानीय युवाओं को गाइडिंग, बोट ऑपरेशन, फूड सर्विस और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी के अवसर मिलेंगे जिसके चलते यह परियोजना जिला के भीतर स्वरोजगार की दिशा में एक बड़ा कदम है.
साथ ही उन्होंने कहा कि बिलासपुर जिला पहले ही श्री नैनादेवी रोपवे, गोविंद सागर लेक बोटिंग जैसी योजनाओं से नभ और थल पर्यटन को मजबूती दे रहा था, जिसके बाद अब इस आइलैंड टूरिज्म परियोजना से जल पर्यटन को भी निर्णायक बल मिलेगा व यह बहुआयामी दृष्टिकोण बिलासपुर को प्रदेश के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में स्थापित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का संकेत बनेगा.