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कुल्लू में जायका प्रोजेक्ट से संवरेगा अनछुआ पर्यटन, भुंतर से कुल्लू तक ब्यास नदी किनारे बनेगा वॉकिंग ट्रेल

कुल्लू जिले में अब पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ पर्यटन विकास की दिशा में एक और कदम बढ़ाया गया है. जायका प्रोजेक्ट के तहत अब भुंतर से कुल्लू तक ब्यास नदी के किनारे वॉकिंग ट्रेल विकसित किया जाएगा.

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कुल्लू में जायका प्रोजेक्ट से संवरेगा अनछुआ पर्यटन, भुंतर से कुल्लू तक ब्यास नदी किनारे बनेगा वॉकिंग ट्रेल
Raj Rani|Updated: May 06, 2025, 02:57 PM IST
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Kullu News(मनीष ठाकुर): हिमाचल प्रदेश में जायका प्रोजेक्ट के तहत जहां पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण को लेकर कार्य हो रहा है तो वहीं अब जिला कुल्लू में भी अनछुए पर्यटन स्थलों को जायका प्रोजेक्ट के माध्यम से विकसित किया जाएगा. जिला कुल्लू के मोहल स्थित नेचर पार्क में वन विभाग के द्वारा जायका प्रोजेक्ट के तहत किए जा रहे कार्य को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

इस कार्यक्रम में कुल्लू के विधायक सुंदर ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित रहे. वहीं इस दौरान जाइका प्रोजेक्ट के तहत काम कर रहे सेल्फ हेल्प ग्रुपों के महिलाओं के द्वारा भी अपने उत्पादों को रखा गया और उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पादों तथा पैकिंग को भी सराहा गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक कुल्लू सुंदर ठाकुर ने कहा कि काईस धार में भी जायका प्रोजेक्ट के तहत एक ईको ट्रेल का निर्माण किया गया और आज हजारों लोग वहां पहुंच रहे हैं. जायका के प्रोजेक्ट के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और इससे पर्यावरण संरक्षण सहित अन्य गतिविधियां भी सफलतापूर्वक चलाई जा रही है.

उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशाला का आयोजन आगामी समय में मनाली, बंजार और आनी में भी किया जाएगा. वहीं आउटर सिराज का जो भी इलाका अनछुआ है. उसे जायका प्रोजेक्ट के माध्यम से विकसित किया जाएगा. ताकि जायका के माध्यम से वहां पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सके. विधायक सुंदर ठाकुर ने कहा कि अब जायका प्रोजेक्ट से मांग रखी जाएगी कि भुंतर से लेकर कुल्लू तक ब्यास नदी के किनारे एक वाकिंग ट्रेल बनाई जाए. जिसमें पैदल चलने के साथ-साथ साइकिल और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के चलने की व्यवस्था हो.

वही जायका इंडिया से आए समन्वयक  विनीत सरीन ने बताया कि यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश में साल 2028 तक चलेगा. ऐसे में सेल्फ हेल्प ग्रुप को भी जायका प्रोजेक्ट के माध्यम से ट्रेनिंग दी जा रही है और जायका प्रोजेक्ट की पैकिंग तथा उत्पादों को देश-विदेश में भी सराहा जा रहा है. आने वाले समय में बड़े-बड़े शहरों में भी जायका प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया जा रहे उत्पादों के लिए आउटलेट खोले जाएंगे. ताकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को अपना रोजगार स्थापित करने में मदद मिल सके.

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