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कुल्लू के बलाधी गांव में पुल न होने से स्कूली छात्रों की पढ़ाई ठप, ग्रामीणों ने डीसी से लगाई गुहार

मणिकर्ण घाटी के बलाधी गांव के लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बीते वर्ष 1 जुलाई को मलाणा डैम फटने के बाद गांव को जोड़ने वाला पुल बह गया था, और एक साल बाद भी उसकी मरम्मत या पुनर्निर्माण नहीं हो पाया है.

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कुल्लू के बलाधी गांव में पुल न होने से स्कूली छात्रों की पढ़ाई ठप, ग्रामीणों ने डीसी से लगाई गुहार
Raj Rani|Updated: May 30, 2025, 02:36 PM IST
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Kullu News(मनीष ठाकुर): हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के मणिकर्ण घाटी में बीते साल 1 जुलाई को मलाणा डैम फट गया था. मलाणा डैम फटने के चलते जहां सड़क को नुकसान हुआ. तो वही नदी किनारे कई गांव भी इसकी चपेट में आए. ऐसे में इस घटना के 1 साल बीतने के बाद भी मणिकर्ण घाटी के बलाधी गांव को जोड़ने वाला पुल आज तक नहीं बन पाया. 

ऐसे में पुल न होने के चलते गांव के 40 छात्रों ने भी स्कूल जाना बंद कर दिया. हालांकि नदी को पार करने के लिए ग्रामीणों के द्वारा अपने स्तर पर एक पुलिया बनाई गई है. लेकिन अचानक नदी नालों का जलस्तर बढ़ने से उसे पुलिया के बहने का भी खतरा बन गया है. ऐसे में बलाधी गांव के ग्रामीणों ने डीसी कुल्लू और प्रदेश सरकार से मांग रखी है कि जल्द यहां पर पुल की व्यवस्था की जाए.

बीते साल मलाणा डैम फटने के चलते नदी का बहाव गांव की ओर मुड़ गया और बलाधी गांव के आठ घर भी क्षतिग्रस्त हो गए. इसके अलावा कृषि भूमि भी इसकी चपेट में आ गई. ऐसे में अभी भी कई घर ऐसे हैं जो नदी के बीच टापू में फंसे हुए हैं. हल्की सी बारिश होने के चलते घर में रहने वाले लोगों की नींद उड़ जाती है और वह पूरी रात जाग कर बिताते हैं. क्योंकि बीते साल आई बाढ़ के चलते घर के दोनों किनारों पर नदी ने अपना प्रवाह शुरू कर दिया है. अब पुल न होने के चलते लोगों को जरी बाजार जाना भी मुश्किल हो रहा है. बलाधी गांव जरी के साथ लगता गांव है और बीते साल बाढ़ से प्रभावित लोग आज भी सरकार से राहत की उम्मीद लगाए हुए हैं.

इसी मुद्दे को लेकर ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल ढालपुर में डीसी कुल्लू  तोरूल एस रवीश से मिलने पहुंचा. प्रतिनिधिमंडल में शामिल जिला परिषद सदस्य रेखा गुलेरिया ने कहा कि 1 साल बीतने के बाद भी गांव के लिए पुल की व्यवस्था नहीं हो पाई है. ग्रामीणों के द्वारा अपने स्तर पर पुलिया बनाई गई. लेकिन बीते दिनों नदी का बहाव बढ़ने के चलते यहां स्कूल से घर वापस आ रहे छात्र फंस गए. जिन्हें ग्रामीणों के द्वारा कड़ी मशक्कत से पुलिया के आर पार करवाया गया  ऐसे में अब ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि जब तक पुल नहीं बनता है. तब तक वह अपने बच्चों की जान को खतरे में नहीं डालेंगे और बच्चों को स्कूल ना भेज कर घर पर ही रखेंगे. जिला परिषद सदस्य रेखा गुलेरिया ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय विधायक के साथ भी मुलाकात की. लेकिन विधायक भी उनकी समस्या का समाधान नहीं कर पाए हैं. अब बरसात का मौसम शुरू होने वाला है. इससे पहले यहां पर पुल की व्यवस्था की जानी चाहिए.

वहीं ग्रामीण नीटू कुमार और जमुना देवी का कहना है कि यहां पर अधिकारियों के द्वारा सिर्फ उन्हें आश्वासन ही दिए जाते रहे हैं. लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि मलाणा डैम के आसपास भी मिट्टी के बड़े-बड़े ढेर लगाए गए हैं. लेकिन अगर बरसात में पानी अधिक होता है. तो यह मिट्टी बह जाएगी और इससे नदी किनारे लगता ग्रामीण इलाकों को फिर से नुकसान पहुंचेगा। ऐसे में नदी को पार करने के लिए पहले पुल की व्यवस्था की जानी चाहिए. ताकि बलाधी गांव के ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े.

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