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कुल्लू का नग्गर कैसल 2 साल के लिए बंद; पर्यटक को करना पड़ेगा लंबा इंतजार

Kullu News: कुल्लू का नग्गर कैसल 2 साल से बंद है. एडीबी प्रोजेक्ट के तहत इस कैसल की मरम्मत की जा रही है. देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इसे देखने नहीं आ पाएंगे. 12 करोड़ रुपए की लागत से मरम्मत का काम पूरा होगा.  

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कुल्लू का नग्गर कैसल 2 साल के लिए बंद; पर्यटक को करना पड़ेगा लंबा इंतजार
Sadhna Thapa|Updated: Mar 31, 2025, 02:38 PM IST
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Kullu News: हिमाचल प्रदेश में समर सीजन का भी आगाज हो चुका है और बाहरी राज्यों से सैलानी यहां की सुंदरता को निहारने के लिए आ रहे हैं. ऐसे में जिला कुल्लू में भी सैलानियों का आना शुरू हो गया है. सैलानी यहां पर विभिन्न पर्यटन स्थलों का रुख कर रहे हैं. लेकिन एक ऐतिहासिक इमारत के दीदार अब सैलानियों को आगामी 2 साल तक नहीं हो पाएंगे. जिला कुल्लू की पुरातन राजधानी नग्गर में नग्गर कैसल के नाम से यह इमारत मशहूर है और इसके मरम्मत कार्य को लेकर फिलहाल इस 2 साल के लिए बंद कर दिया गया है. पर्यटन विभाग के द्वारा इसके जीर्णोद्धार को लेकर टेंडर जारी कर दिया गए हैं. ऐसे में अब पुरानी शैली के इस इमारत की जहां मरम्मत होगी. तो वही यहां पर बैलनेस सेंटर का भी निर्माण होगा. ताकि सैलानी यहां घूमने फिरने के साथ-साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रख सके.

इस किले का निर्माण राजा सिद्धि सिंह ने 16वीं शताब्दी में किया था. 17वीं शताब्दी के मध्य तक राजा महाराजा इसे शाही महल और शाही मुख्यालय के तौर पर प्रयोग करते थे. बाद में इसे कुल्लू के राजा जगत सिंह ने इसे अपनी राजधानी बनाया. नग्गर कैसल का यह किला 1905 में आए भयंकर भूकंप में भी खड़ा रहा और इस किले को कोई नुकसान नहीं हुआ है. यहां का इतिहास किले की दीवारों पर दर्शाया गया है. यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को भी कैसल की निर्माण शैली काफी पसंद आती है. सैलानियों का कहना हैं कि आज तक उन्होंने सिर्फ कुल्लू-मनाली की खूबसूरती के बारे में सुना था. लेकिन यहां आकर उन्हें कुछ अलग देखने को मिलता है.

साल 1846 तक इस घराने के वंशज किले का प्रयोग ग्रीष्मकालीन महल के रूप में करते थे. लेकिन जब अंग्रेजों ने सारा कुल्लू सिक्खों के अधिकार से छुड़ा कर अपने कब्जे में ले लिया. तब राजा ज्ञान सिंह ने मात्र एक बंदूक के लिए इसे मेजर को बेच दिया था. इसके बाद इसे रहने के लिए यूरोपियन रहन-सहन के अनुरूप परिवर्तित कर दिया गया. कुछ समय बाद मेजर ने इसे सरकार को बेच दिया और इसका प्रयोग ग्रीष्मकालीन न्यायालय के रूप में होता रहा. अब यह किला प्रदेश सरकार के अधीन है.

यह किला ब्यास नदी के तट पर बना हुआ है. इस किले के परिसर में देखने के लिए अन्य आकर्षक और दर्शनीय स्थल भी है. जैसे मंदिर, आर्ट गैलरी. इसके अलावा यहां दर्जनों बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. नग्गर कैसल बॉलीवुड निर्माता-निर्देशकों की पसंदीदा जगहों में से एक है. उधर, इतिहासकार डॉक्टर सूरत ठाकुर का कहना है कि यह इमारत अपने आप में एक अजूबा है. इस इमारत की खूबसूरती के साथ-साथ मजबूती सबको चौंकाती हैं. एक बंदूक के लिए भी इसे बेच दिया गया था और कई बातें भी इस किले के साथ भी जुड़ी हुई है. ऐसे में आज यह किला सैलानियों के लिए आकर्षक जगह बना हुआ है. यहां पर पुराने दौर की कई कला कृतियां भी रखी हुई है जिन्हें आज सैलानी यहां पर देख सकते हैं.

 दिल्ली और चंडीगढ़ से हवाई मार्ग से आने वाले सैलानियों के लिए सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भुतंर है. दोनों शहरों से यहां के लिए रोजाना उड़ान उपलब्ध हैं. वहीं, सड़क मार्ग के माध्यम से भी नग्गर तक पहुंचा जा सकता है. नग्गर बाजार से एक किमी की दूरी पर नग्गर कैसल किला है. पर्यटन निगम ने नग्गर कैसल के कुछ हिस्सों को होटल के रूप में परिवर्तित किया है. जहां सैलानियों के रहने व खाने-पीने की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं.

वहीं जिला पर्यटन विकास अधिकारी सुनैना शर्मा ने बताया कि नग्गर कैसल के जीर्णोद्धार के लिए एशियाई डेवलपमेंट बैंक की सहायता से काम किया जा रहा है. इस पर 11 करोड़ 57 लाख रुपए की राशि खर्च की जाएगी. 2 सालों के लिए इसे बंद कर दिया गया है. ऐसे में 2 सालों के बाद यह सैलानियों के लिए खोल दिया जाएगा. नग्गर कैसल के मूल रूप से कोई भी छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.

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