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ऐतिहासिक शहर नाहन में परंपरागत रूप से मनाया गया मुहर्रम, दिखा आपसी भाईचारे का संदेश

देशभर में मुहर्रम का पर्व मुस्लिम समुदाय द्वारा श्रद्धा और शोक के साथ मनाया गया, लेकिन ऐतिहासिक नगरी नाहन में इस अवसर की एक खास पहचान देखने को मिली. यहां मुहर्रम की परंपरा शिया नहीं, बल्कि सुन्नी समुदाय द्वारा निभाई जाती है, जो पूरे हिंदुस्तान में नाहन को एक विशेष स्थान दिलाती है.

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ऐतिहासिक शहर नाहन में परंपरागत रूप से मनाया गया मुहर्रम, दिखा आपसी भाईचारे का संदेश
Raj Rani|Updated: Jul 06, 2025, 05:10 PM IST
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Nahan News(देवेंदर वर्मा): यूं तो आज मुर्हरम का पर्व पूरे देष में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मनाया गया. मगर नाहन में इस पर्व को मनाने की रिवायत कुछ अलग है. जहां देष के अन्य हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के शिया समुदाय द्वारा यह पर्व मनाया जाता है. वहीं नाहन में यह पर्व शिया समुदाय न मनाकर सुन्नी समुदाय मनाता है. मुहर्रम पर परंपरा के मुताबिक आज आज ताजिए निकाले गई जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया.

नाहन हिदुंस्तान की एकमात्र ऐसी जगह है जहां यह पर्व सुन्नी समुदाय मनाता है. यह परंपरा यहां राजा महाराजाओं के समय से सदियों से चली आ रही है जिसे सुन्नी समुदाय बखूबी ढंग से निभाता है. 
 
मीडिया से बात करते हुई अंजुमन इस्लामिया नाहन के अध्यक्ष बॉबी एहमद ने बताया कि मुर्हरम पर हजरत ईमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है जिन्होनें आज के दिन करबला में अपनी शहीदी दी थी. इस महीने को शोक के रूप में मनाता है और कोई शुभ कार्य भी इस दौरान नहीं किए जाते है. उन्होंने बताया कि सुन्नी समुदाय द्वारा जब यह पर्व यहां मनाता जाता है तो इसमें हिन्दू समाज के लोग भी शरीक होते है और यहां सालों से आपसी भाईचारे की यह मिसाल कायम है.

उन्होंने बताया कि हजरत इमाम हुसैन की याद में अंजुमन इस्लामिया कमेटी द्वारा रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया है और भविष्य में भी लगा इस कैंप का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आज के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग गरीब लोगों की मदद के लिए आगे आते है और सेवा के रूप में कई समाज सेवी कार्य किए जाते है.

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