Paonta Sahib(ज्ञान प्रकाश): हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डाक्टर वाई एस परमार ने राजगढ़ में बागवानी विभाग के तहत एक फल विधायन केंद्र की स्थापना की थी. यह विधायन केंद्र आज क्षेत्र के बागवानों के लिए संबल का साधन बन गया है. इस विधायन केंद्र में आचार, जूस, जेम, चटनी, मुरब्बा, पियूरी आदि उत्पाद बनाए जा रहे हैं.
यहां सभी उत्पाद आधुनिक एवं वैज्ञानिक विधि से बनाए जाते हैं. इन उत्पादों की खासियत यह है कि यह उत्पाद पूर्णतया ऑर्गेनिक है. यह पहाड़ी परिवेश में उगाए फलों से बनाए जाते हैं. इन फलों में कीटनाशकों का काम से कम छिड़काव होता है. यही नहीं इस फल विधायन केंद्र में अब बुरांस के प्राकृतिक फूलों का भी विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जा रहे हैं.
यह फल विधायन केंद्र किसानों और बागवानों की आर्थिक को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है. इस केंद्र में स्थानीय लोगों को फलों और सब्जियों से विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. फल विधायन केंद्र के बेहतर स्वाद और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की वजह से क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है.
यह उत्पादन क्षेत्र में पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहे हैं. फल विधायन केंद्र के कनिष्ठ सहायक जगदीश ठाकुर के अनुसार यहां फल विधायन केद्रं में फलो व सब्जियों के विधायन के साथ साथ विधायन का प्रशिक्षण की स्थानीय लोगों को दिया जाता है. यह प्रशिक्षण फलों एवं सब्जियों के सीजन के समय प्रदान किया जाता है.