Paonta Sahib News(ज्ञान प्रकाश): भगवान परशुराम जी की जन्मोत्सव पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु श्री रेणुका जी पहुंचे. पौराणिक मान्यता है कि श्री रेणुका जी में ही भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का अवतरण हुआ था. भगवान परशुराम जी महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका जी के जेष्ठ पुत्र थे. भगवान के परशुराम जी के जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए आसपास के देव स्थलों से कई पालकिया श्री रेणुका जी पहुंचती हैं.
यहां देवों का विधिवत पूजन किया जाता है और भजन कीर्तन गाकर जन्मोत्सव मनाया जाता है. हालांकि इस बार जयंती पर श्री रेणुका जी तीर्थ में एक ऐतिहासिक परंपरा टूट गई. हर वर्ष जामू कोटि व कटाह शीतला मंदिरों से भगवान परशुराम की पालकियां श्री रेणुका जी पहुंचती थीं, लेकिन इस बार भगवान परशुराम की जन्मस्थली जामू कोटि मंदिर से देव पालकी नहीं पहुंच पाई.
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श्री रेणुका जी विकास बोर्ड के सीईओ भरत सिंह ठाकुर ने बताया कि जामू मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है, जिसके चलते देवताओं को सिंहासन सहित सुरक्षित स्थान पर विराजमान किया गया है और वे बाहर नहीं आ सकते। इस बार शोभायात्रा में कटाह मंदिर के देवता ही शामिल हुए. ददाहू तहसील परिसर में पालकी का स्वागत किया गया और तहसीलदार जय सिंह ठाकुर ने देव पालकी को उठाकर शोभायात्रा के लिए रवाना किया.
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भव्य शोभायात्रा ददाहू बाजार से होती हुई पुरानी देवठी पहुंची, जहां भगवान को विधिवत विराजमान किया गया. श्री रेणुका जी के अलावा राजगढ़, कमरऊ और दुगाना आदि गांव में भी भगवान परशुराम जी की जयंती हर्षोल्लाह के साथ मनाई गई.