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बिखरे सपनों को मिला सहारा: मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत रखी गई पक्के घर की नींव

ऊना जिले के नंगल खुर्द निवासी 21 वर्षीय रंजीत सिंह और उनके भाई-बहनों के लिए भी खुद का पक्के घर का सपना माता-पिता के असमय निधन के बाद अधूरा रह गया था. मगर हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना ने उनके सपनों को नई उड़ान दी है.  

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बिखरे सपनों को मिला सहारा: मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत रखी गई पक्के घर की नींव
Raj Rani|Updated: Jul 11, 2025, 02:15 PM IST
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Una News(राकेश माल्हि): हर इंसान अपने पक्के घर का सपना देखता है, लेकिन कुछ के लिए यह सपना हालात और अभावों के बोझ तले दबकर बिखर जाता है. ऊना जिले के नंगल खुर्द निवासी 21 वर्षीय रंजीत सिंह और उनके भाई-बहनों के लिए भी अपने पक्के घर का सपना माता-पिता के असमय निधन के बाद एक अधूरी कल्पना बनकर रह गया था. मगर हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना से मिली सहायता के बूते उनका यह सपना अब साकार हो रहा है.

योजना के तहत रंजीत को लगभग 5 मरले भूमि और गृह निर्माण के लिए एक लाख रुपये की पहली किश्त प्राप्त हुई है. अब उस जमीन पर दो कमरों, लॉबी और शौचालय सहित एक पक्के घर की नींव रखी जा चुकी है.

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के अंतर्गत पात्र निराश्रितजनों को गृह निर्माण के लिए कुल तीन लाख रुपये की सहायता चार किश्तों में प्रदान की जाती है. साथ ही घर के लिए जमीन न होने की स्थिति में तीन बिस्वा तक भूमि भी राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है.
रंजीत बताते हैं कि माता-पिता के असमय निधन के बाद उनके बड़े भाई ने पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली. 6 भाई-बहनों के इस परिवार के पास रहने को सिर्फ एक कमरा था और खाना, सोना, पढ़ना, सब कुछ उसी एक जगह पर होता था। आर्थिक तंगी इतनी गहरी थी कि उन्होंने बड़े भाई के साथ दिहाड़ी मज़दूरी शुरू कर दी, ताकि दो वक्त की रोटी जुटाई जा सके.

लेकिन इस संघर्षपूर्ण जीवन में एक मोड़ तब आया, जब उन्हें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की जानकारी मिली. रंजीत कहते हैं कि सरकार ने सिर्फ आर्थिक मदद नहीं दी, वह हमारे लिए सच्चे मायनों में अभिभावक बनकर खड़ी हुई है. इसके लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का जितना आभार जताएं कम होगा.

रंजीत की बहन इस योजना के सहयोग से सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण ले रही है और योजना में तीन भाई-बहनों को प्रतिमाह चार-चार हजार रुपये की सामाजिक सुरक्षा सहायता भी मिल रही है.

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