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Himachal Cloudburst: जगतखाना में बादल फटने से तबाही का मंजर, तीन अलग-अलग स्थान पर बाढ़ की स्थिति

Rampur Flood: रामपुर के साथ लगते कुल्लू जिला के निरमंड उप मंडल के जगत खाना में बीती शाम बादल फटने से तीन अलग-अलग स्थान पर बाढ़ की स्थिति बनी. इस घटना में दो दर्जन से अधिक गाड़ियों को क्षति पहुंची है। जिनमें कुछ गाड़ियां सतलुज तट पर जा पहुंची है.

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Himachal Cloudburst: जगतखाना में बादल फटने से तबाही का मंजर, तीन अलग-अलग स्थान पर बाढ़ की स्थिति
Raj Rani|Updated: May 25, 2025, 12:00 PM IST
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Himachal Cloudburst(विशेषर नेगी): रामपुर के समीप कुल्लू जिले के निरमंड उपमंडल के अंतर्गत जगतखाना क्षेत्र में बीती शाम करीब 6:15 बजे बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई. तीन अलग-अलग स्थानों पर अचानक आई बाढ़ के चलते सड़कों पर मलबा और पानी भर गया, जिससे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया. इस घटना में अब तक 26 गाड़ियों को क्षति पहुंची है, जिनमें से कुछ सतलुज नदी तक जा पहुंचीं, जबकि कई वाहन पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं.

संपर्क मार्ग अब भी अवरुद्ध, राहत कार्य धीमे
बाढ़ की वजह से ब्रो जगतखाना-चाटी-तुनन संपर्क मार्ग अब तक बाधित है. आनी के विधायक लोकेंद्र कुमार ने प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई और कहा कि घटना के 15 घंटे बाद भी न तो सड़क बहाल हुई है और न ही फंसे वाहनों को निकाला गया है. उन्होंने बताया कि तेज आंधी और ओलावृष्टि से नकदी फसलों को भी नुकसान हुआ है.

ग्रामीणों की नींद उड़ गई, घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे
बादल फटने के बाद उत्पन्न हालातों ने ग्रामीणों को पूरी रात जागने पर मजबूर कर दिया. जगतखाना पंचायत के प्रधान सतीश कुमार के अनुसार अब तक के सर्वे में 26 गाड़ियां क्षतिग्रस्त पाई गई हैं, जिनमें से 15 पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं, जबकि कुछ लापता हैं. कई सड़कों पर यातायात पूरी तरह ठप है.

चश्मदीदों का दर्द: "जान बची तो लाखों पाए"
नारायण पाल, जिनकी जगतखाना में दुकान है, ने बताया कि उन्हें जैसे ही बाढ़ की जानकारी मिली, वह अपनी गाड़ी की ओर दौड़े लेकिन गाड़ी को नहीं बचा पाए.

पूर्व प्रधान देविका ने PWD विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि कलवर्ट और ड्रेनेज की खराब हालत ने हालात और बिगाड़ दिए. पानी लोगों के घरों में घुस गया और गाड़ियां बह गईं. उन्होंने सड़कों की तत्काल मरम्मत की मांग की.

महिलाएं और बच्चे पूरी रात दहशत में
चांदनी नामक महिला ने बताया कि बादल फटने के वक्त वह पास के मकान में थीं और जैसे ही स्थिति बिगड़ी, बच्चों को लेकर सुरक्षित स्थान पर भागीं. डर का ऐसा आलम था कि वह रातभर सो नहीं सकीं.
शमीम अहमद ने भी अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह बाढ़ के समय मौके पर मौजूद थे और किसी तरह अपनी जान बचा पाए.

प्रशासन की तैयारियों पर सवाल
यह घटना अभी मानसून शुरू होने से पहले की है, लेकिन इससे ही सरकारी तंत्र की तैयारियों की पोल खुल गई है. बाढ़ और नुकसान के बाद अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि प्रशासन राहत और पुनर्वास के काम को कितनी तेजी और संवेदनशीलता से अंजाम देता है.

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