Solan News(नंद लाल): अगर आप भी हिमाचल और पंजाब के पहाड़ी इलाकों में गूगल मैप की मदद से सफर कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जब एक परिवार गूगल मैप के भरोसे नालागढ़ से पंजाब की ओर जा रहा था. इस परिवार में एक छात्रा भी थी, जिसे ऊना में एक महत्वपूर्ण परीक्षा में शामिल होना था. गूगल मैप ने उन्हें दभोटा पुल के रास्ते पर ले गया, जो दो साल पहले ही पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. जैसे ही उनकी कार नदी के पास पहुंची, तेज बहाव में वह बुरी तरह फंस गई और कई किलोमीटर तक पानी के साथ बहती रही.
कार में सवार लोगों को मामूली चोटें आईं, लेकिन स्थानीय लोगों की तत्परता और साहस के कारण सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया. कार का भारी नुकसान हुआ, और परिवार को स्थानीय लोगों ने लाखों रुपये का नुकसान होने की बात कही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कार में चार लोग सवार थे जिनमें से एक छात्रा का ऊना में महत्वपूर्ण पेपर था.
दभोटा पंचायत के प्रधान ने इस घटना पर गहरा रोष जताते हुए बताया कि गूगल मैप टूटे हुए दभोटा पुल को वैध मार्ग के रूप में दिखा रहा है, जिसके कारण आए दिन लोग इस खतरनाक रास्ते पर फंस रहे हैं. उन्होंने प्रशासन से मांग की कि इस मार्ग पर साइनबोर्ड और बैरिकेड्स लगाए जाएं, ताकि लोगों को स्पष्ट रूप से पता चले कि यह रास्ता बंद है. उन्होंने लोगों से अपील की कि गूगल मैप पर भरोसा करने के बजाय बोदला मार्ग का इस्तेमाल करें, क्योंकि दभोटा पुल पूरी तरह असुरक्षित है.
पंचायत के उपप्रधान जगतार जग्गी ने भी सरकारों की उदासीनता पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि दो साल में करोड़ों रुपये टैक्स वसूलने के बावजूद न तो हिमाचल की कांग्रेस सरकार और न ही पंजाब सरकार ने इस पुल को बनाने की जिम्मेदारी ली. दोनों सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रही हैं, जबकि जनता हर दिन परेशान हो रही है. जग्गी ने बताया कि यह पुल न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि ट्रांसपोर्टरों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो नालागढ़ के औद्योगिक क्षेत्र से माल लाने-ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. बारिश के मौसम में नदी का उफान और टूटा पुल जानलेवा जोखिम पैदा कर रहा है.
हिमाचल प्रदेश और पंजाब को जोड़ने वाला दभोटा नदी पर बना महत्वपूर्ण पुल 2023 की भारी बारिश और बाढ़ की त्रासदी में पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर टूट गया था. दो साल से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन न तो हिमाचल प्रदेश सरकार और न ही पंजाब सरकार ने इस पुल के पुनर्निर्माण की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया है. इसकी वजह से स्थानीय लोग, यात्री और ट्रांसपोर्टर भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. टूटे हुए पुल के कारण लोगों को 5-10 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाकर बोदला मार्ग से होकर गुजरना पड़ रहा है, जो एक संकरा और जोखिम भरा रास्ता है. बारिश के मौसम में नदी का तेज बहाव इस मार्ग को और भी खतरनाक बना देता है.
दभोटा गांव के निवासी और पूर्व सैनिक विक्की फौजी ने इस मामले में दोनों राज्यों की सरकारों पर गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने बताया कि 2023 की बाढ़ में यह पुल पूरी तरह नष्ट हो गया था. प्रशासन ने एक वैकल्पिक पुल बनाया था, लेकिन वह भी पहली बारिश में ही बह गया. इसके बाद हाल ही में नए पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन बारिश के कारण वह भी अधूरा रह गया, और अब केवल कुछ सरिए और खंभे ही नजर आ रहे हैं. विक्की ने कहा, “यह पुल हिमाचल और पंजाब को जोड़ने वाला एकमात्र प्रमुख मार्ग है, जहां से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैं. औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यह ट्रांसपोर्टरों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन सरकारों की लापरवाही के कारण लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे हैं.
स्थानीय निवासी शालिग राम ने बताया कि टूटे दभोटा पुल के कारण लोग अब बोदला मार्ग का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो एक संकरा लिंक रोड है। इस मार्ग पर बना छोटा पुल भी भारी वाहनों के दबाव को सहन नहीं कर पा रहा.
2023 में हिमाचल के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दौरा कर जल्द निर्माण का वादा किया था, लेकिन दो साल बाद भी स्थिति जस की तस है. बारिश के मौसम में नदी का उफान और गूगल मैप की गलत दिशा लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. स्थानीय लोग सरकारों की उदासीनता से आक्रोशित हैं और मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द पुल का निर्माण हो, ताकि जान-माल का नुकसान रोका जा सके और लोगों को इस परेशानी से निजात मिले.