Bilaspur News(विजय भारद्वाज): सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है जिसमें यह कहा गया था कि पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने खिलाफ लंबित मामलों की जानकारी का खुलासा करना अनिवार्य है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने 16 अक्टूबर, 2024 के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें मंडी जिला के पांगना गांव पंचायत के प्रधान को बर्खास्त करने की पुष्टि की गई थी और कहा गया था, यह एक ऐसा मामला है, जिसमें उन्होंने जानबूझकर अपने खिलाफ आपराधिक मामले के लंबित होने के तथ्य को छिपाते हुए एक झूठा हलफनामा दायर किया था.
उस महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाना उनके चुनाव को रद्द करने का एक वैध आधार था. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का बिलासपुर जिला के पंचायत प्रधानों, उपप्रधानों व बीडीसी सदस्यों ने स्वागत किया है. बिलासपुर जिला से ऑयल पंचायत के प्रधान दिनेश कुमार, बल्ह चुल्हानी पंचायत के प्रधान राकेश कुमार, माकड़ी मारकंड पंचायत के उपप्रधान देवराज शर्मा व बंदला वार्ड से बीडीसी सदस्य विनोद कुमार ने कहा की चुनाव कोई भी हो चाहे विधायक पद के लिए हों, प्रधान पद के लिए या फिर बीडीसी सदस्य के लिए प्रत्येक उम्मीदवार का कर्तव्य यह बनता है कि निर्वाचन आयोग के समक्ष संपत्ति विवरण हो या फिर अदालत में लंबित मामले हों उसकी पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई जाए ताकि निष्पक्ष भाव से चुनाव हो सके.
मगर कुछ एक उम्मीदवारों द्वारा नामांकन के दौरान सभी दस्तावेज जमा ना कराते हुए उन्हें छुपाना सरासर ग़लत है और जब बाद में इस तरह की बाते सामने आती हैं तो इसका सीधा असर पंचायत प्रतिनिधियों की साख पर पड़ती है इसलिए यह जरूरी है हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में प्रस्तावित पंचायत व शहरी निकाय के चुनावों के दौरान सभी उम्मीदवार अपने सभी दस्तावेज नामांकन के दौरान पेश करें ना कि संपत्ति व अदालतों में लंबित मामलों को छुपाने की कोशिश करें तभी यह चुनाव ना केवल निष्पक्ष भावना से पूर्ण हो सकते हैं बल्कि पंचायत प्रतिनिधियों पर जनता का विश्वास भी बना रहेगा.