Sirmaur News: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में मानसून के बीच भूस्खलन का खतरा पहले से ही मंडरा रहा है, ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग-707 पर डायनामाइट से की जा रही अवैध ब्लास्टिंग ने स्थिति को और खतरनाक बना दिया है. गंगटोली क्षेत्र में रात के अंधेरे में सैकड़ों किलो विस्फोटकों से पहाड़ उड़ाए जा रहे हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त रोक लगा रखी है.
स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है कि एचईएस इंफ्रा की सबलेट कंपनी रुदनव इंफ्रा द्वारा यह कार्य किया जा रहा है. विस्फोट से निकलने वाला मलबा सीधे नालों में डाला जा रहा है जिससे जल स्रोत खत्म हो रहे हैं और पर्यावरण को गहरा नुकसान हो रहा है.
हैरानी की बात यह है कि स्थानीय प्रशासन, पुलिस और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इस अवैध गतिविधि को जानते हुए भी चुप्पी साधे हुए हैं. ब्लास्टिंग की वजह से इलाके में भूस्खलन तेज हो गया है और लोगों में दहशत का माहौल बन गया है.
सवाल यह भी उठ रहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में जिलेटिन जैसे खतरनाक विस्फोटक आखिर हिमाचल तक पहुंच कैसे रहे हैं. यह विस्फोटक कई राज्यों की सीमाएं पार कर यहां तक आ रहे हैं और इस तस्करी में किसका हाथ है, यह जांच का विषय है.
उधर, शिलाई के एसडीएम ने पुष्टि की है कि अवैध ब्लास्टिंग की जानकारी मिली है और दोषी कंपनी पर जल्द ही सख्त कार्रवाई की जाएगी.
इस मुद्दे पर एंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल फोर्स (ACCF) ने भी कड़ा रुख अपनाया है. एसीसीएफ प्रदेश प्रमुख नाथूराम चौहान ने कहा कि हिमाचल में कानून व्यवस्था की हालत चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि “अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और विस्फोटक नियंत्रण कानूनों की इस तरह अवहेलना होगी, तो यह प्रदेश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.”