Swachh Survekshan 2025: स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 में शिमला को केवल 347वां स्थान मिलने से नगर निगम और शहरवासियों में नाराजगी फैल गई है. 820 शहरों की सूची में इतनी पीछे रैंकिंग से खुद मेयर सुरेंद्र चौहान असहमति जता रहे हैं.
मेयर का कहना है कि यह रैंकिंग जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाती. उन्होंने आरोप लगाया कि सर्वेक्षण में शहर की स्वच्छता का सही मूल्यांकन नहीं किया गया. बाजारों और रिहायशी इलाकों की स्वच्छता को भले ही 100 प्रतिशत अंक मिले हों, लेकिन कचरा निस्तारण में शिमला को मात्र दो अंक देना अनुचित है.
मेयर चौहान ने कहा कि नगर निगम शिमला स्वयं 17 पंचायतों तक का कचरा प्रबंधन करता है, बावजूद इसके उन्हें कम अंक दिए गए, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है. उन्होंने कहा कि नगर निगम के कर्मचारी दिन-रात मेहनत करते हैं, और ऐसे में यह रैंकिंग उनके मनोबल को तोड़ने वाली है.
मेयर की मांगें और कदम:
-केंद्र सरकार के मंत्रालय को लिखेंगे आपत्ति पत्र
-नगर निगम कमिश्नर के माध्यम से भी दर्ज करवाई जाएगी आपत्ति
-सर्वेक्षण में हुई संभावित अनदेखियों की समीक्षा की मांग
मेयर ने साफ किया कि वे चाहते हैं कि शिमला शहर की सही तस्वीर सामने आए, और यदि जरूरत पड़ी तो स्वच्छता रैंकिंग की प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाए. उन्होंने कहा कि शिमला एक स्वच्छ शहर है और उसकी छवि को इस तरह धूमिल नहीं किया जाना चाहिए.