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पहाड़ी राज्यों के लिए अलग नीति होनी चाहिए: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने तपोवन विधानसभा भवन में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ वार्षिक सम्मेलन (भारत क्षेत्र-2) के शुभारंभ अवसर पर देश में पहाड़ी राज्यों के लिए अलग नीति बनाए जाने की वकालत की.

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पहाड़ी राज्यों के लिए अलग नीति होनी चाहिए: CM सुखविंदर सिंह सुक्खू
Raj Rani|Updated: Jun 30, 2025, 07:23 PM IST
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Dharamshala News(विपन कुमार): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पूरे देश के लिए एक नीति बनाई जाती है, मेरा मानना है कि पूरे देश में पहाड़ी राज्यों के लिए एक अलग से नीति होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में छह माह के बजाय एक वर्ष के भीतर एक माह में ही उपचुनाव हों, इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए. सीएम ने कहा कि प्रदेश का पानी, हिमाचल का बहता सोना है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सोमवार को तपोवन विधानसभा भवन में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ वार्षिक सम्मेलन भारत क्षेत्र - 2 के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे. 

उन्होंने कहा कि मैदानी राज्यों की नीतियों को पहाड़ी राज्यों में लागू करने से पहाड़ी राज्यों का विकास नहीं हो पाएगा. जो नदियां पंजाब में जाती हैं, वे हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से जाती हैं, हिमाचल से पांच नीतियां जाती हैं. जीएसटी लगने के बाद हिमाचल को भारी नुकसान हुआ है. सीएम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का बददी एशिया का फार्मा हब है, जीएसटी लगने से पहले सरकार को 4 हजार करोड़ बद्दी के एरिया से आता था, जबकि जीएसटी लगने के बाद 200 करोड़ भी नहीं मिल पा रहा है. हमारी जनसंख्या 75 लाख है, हम एक करोड़ तक पहुंच सकते, क्योंकि हमारी आबादी डिक्लाइजेशन की ओर है, ऐसे में जीएसटी का कभी लाभ ही नहीं मिल पाएगा. 

हिमाचल का पानी, हमारा बहता हुआ सोना है. जब प्रदेश हित की बात आती है तो छोटा राज्य होने के चलते हम अपनी आवाज इतनी जोर से नहीं उठा पाते, जितनी जोर से उत्तर प्रदेश वाले उठा पाते हैं. हम इसकी भी लड़ाई लड़ रहे हैं कि पानी को हमारा रिसोर्स माना जाए और उसका उचित अधिकार हमें मिले.

बार-बार उपचुनाव का पड़ता है प्रभाव
सीएम ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन की ओर हम बढ़ रहे हैं. मेरा आग्रह है कि उपचुनाव छह माह के बजाय एक साल में होना चाहिए, जिससे कि एक साल भीतर आदर्श आचार संहिता लग जाती है तो उसका बार-बार प्रभाव पड़ता है. मैंने इस मामले को पार्लियामेंट मिनिस्टर से यह बात रखी है कि उपचुनाव देश में एक साल में एक माह के भीतर हो तो बार-बार आदर्श आचार संहिता नहीं लगेगी. उन्होंने कहा कि इसके लिए अमेंडमेंट कॉन्स्टिटूशनल होना है, इसके लिए लोकसभा स्पीकर का भी इसमें हस्तक्षेप जरूरी होगा.

एंटी डिफेक्शन लॉ का सही सदुपयोग किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी विधानसभा ने एक इतिहास बनाया है. निश्चित तौर लोकतंत्र की मजबूती के लिए एंटी डिफेक्शन लॉ बनाया गया था, उसका सही सदुपयोग अगर किसी ने किया है तो हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने किया है. सीएम ने कहा कि प्रदेश विधानसभा न केवल अन्य विधानसभाओं के लिए तकनीकी मार्गदर्शक बनी है, बल्कि डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में एक प्रेरणा स्त्रोत भी है. हमें गर्व है कि देश भर की विधानसभाएं हिमाचल की इस पहल से प्रेरणा ले रही हैं और वन नेशन वन एप्लीकेशन की दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

सीएम ने कहा कि प्रदेश विधानसभा के स्पीकर व सरकार ने देश के लिए डिजिटल का मार्ग खोला है, वहीं डिसक्वालीफिकेशन किस तरह से होना है, इसका मार्ग भी स्पीकर साहब के लिए खोल दिया है.

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