Shimla News(अंकुश डोभाल): हिमाचल प्रदेश में नेशनल हाईवे को फोरलेन में तब्दील करने का काम तेज़ी से जारी है. इसी क्रम में शिमला के ढली तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य अंतिम चरण में है. हालांकि इस निर्माण कार्य से आसपास के गांवों के लोग प्रभावित हो रहे हैं. बुधवार को भट्टाकुफर क्षेत्र के प्रभावितों ने शिमला स्थित नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया.
हाल ही में भट्टाकुफर में एक मकान ज़मींदोज हो गया था, जिसका जिम्मा लोगों ने निर्माण कंपनी पर डाला है. प्रभावितों का कहना है कि निर्माण में अवैज्ञानिक और लापरवाही भरे तरीके अपनाए जा रहे हैं, जिससे इलाके के कई घरों को खतरा पैदा हो गया है.
"मकान चला गया, राहत के नाम पर सिर्फ़ 50 हज़ार रुपये"
प्रभावित रंजना वर्मा ने कहा कि उनका घर पूरी तरह से तबाह हो गया, लेकिन अब तक उन्हें सिर्फ 50 हज़ार रुपये की राहत दी गई है और एक अस्थायी कमरा रहने के लिए मिला है. ना तो उचित मुआवज़ा मिला और ना ही कोई दीर्घकालिक राहत की बात हो रही है.
एक अन्य प्रभावित एसआर कौंडल ने कहा कि उनका घर भी खतरे में है और वे मजबूरी में किराए के मकान में रह रहे हैं. उन्होंने कहा, "जीवनभर की कमाई घर बनाने में लगा दी, लेकिन अब सिर्फ़ झूठे वादों के सहारे जी रहे हैं."
लोगों ने उठाई मुआवज़े और पुनर्वास की मांग
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में लापरवाही और बिना उचित सर्वे के काम शुरू किया गया, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने उचित मुआवज़ा, पुनर्वास और सुरक्षा उपायों की मांग की है.
प्रभावितों का कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन को और तेज़ करेंगे. अब सबकी निगाहें प्रशासन और NHAI की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं.