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Una News: 74 की उम्र में बंगाणा के रोशन लाल ने ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रची आत्मनिर्भरता की नई कहानी

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के बंगाणा के रोशन लाल ने न केवल पारंपरिक खेती के ढर्रे को बदला, बल्कि ड्रैगन फ्रूट जैसी उन्नत और औषधीय फसल के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नवाचार की मजबूत नींव रखी है.

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Una News: 74 की उम्र में बंगाणा के रोशन लाल ने ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रची आत्मनिर्भरता की नई कहानी
Raj Rani|Updated: Jun 25, 2025, 04:00 PM IST
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Una News(राकेश माल्हि): कहते हैं..हौसले उम्र नहीं देखा करते. ऊना जिला के बंगाणा उपमंडल के उपरली बॉल गांव निवासी 74 वर्षीय रोशन लाल इसकी जीवंत मिसाल हैं. उन्होंने न केवल खेती के पारंपरिक ढर्रे को बदला, बल्कि ड्रैगन फ्रूट जैसी उन्नत और उच्च मूल्य की फसल के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नवाचार की नयी इबारत लिख दी.

वर्ष 2023 में जब रोशन लाल ने छोटे स्तर पर ड्रैगन फ्रूट की खेती का बीड़ा उठाया, तब यह क्षेत्र के लिए एक नया प्रयोग था. लेकिन आज, 25 कनाल भूमि में लगाए गए ताइवान पिंक वैरायटी के 3300 पौधे फल देने लगे हैं और किसान की मेहनत रंग ला रही है. खेत से ही प्रति फल 80 से 100 रुपये में बिक्री हो रही है और इस साल उन्हें 4 से 4.5 लाख रुपये तक की आमदनी की उम्मीद है.

ड्रैगन फ्रूट औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसमें  पोटैशियम, कैल्शियम, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-एजिंग तत्व शामिल हैं. साथ ही यह स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर फल है, जो बाजार में ऊंचे दामों पर बिकता है. इसकी विशेषता यह है कि एक बार रोपित पौधा 25 से 30 वर्षों तक फल देता है, जिससे यह किसानों के लिए एक स्थायी आमदनी का स्रोत बन सकता है. रोशन लाल ने केवल ड्रैगन फ्रूट पर निर्भर न रहकर प्याज, लहसुन और प्याज की पनीरी जैसे फसलों की मिश्रित खेती भी अपनाई. 

पिछले वर्ष उन्होंने इससे 20 हजार रुपये की आमदनी अर्जित की, जबकि ड्रैगन फ्रूट की आंशिक बिक्री से 15 हजार रुपये का लाभ हुआ. यह बहुआयामी कृषि मॉडल सबके लिए एक सुंदर सीख है कि किस प्रकार समर्पण, ज्ञान और सरकारी योजनाओं के समुचित उपयोग से कोई भी किसान आत्मनिर्भर बन सकता है. रोशन लाल का कहना है कि पहले जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान होता था, लेकिन अब बागवानी विभाग के सहयोग से स्थितियां सुधरी हैं. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत उन्हें ड्रिप इरिगेशन सिस्टम 80 प्रतिशत अनुदान पर मिला है. इसके अतिरिक्त, विभागीय अधिकारी उन्हें समय-समय पर तकनीकी जानकारी, पोषण सलाह और फसल सुरक्षा उपाय प्रदान करते रहते हैं.

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