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क्या है 'रोहित वेमुला एक्ट'? जिसे लेकर राहुल गांधी ने हिमाचल के CM सुक्खू को भेजा पत्र

Rahul Gandhi: सोमवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को पत्र लिखा है और 'रोहित वेमुला एक्ट' लागू करने का आग्रह किया है.

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क्या है 'रोहित वेमुला एक्ट'? जिसे लेकर राहुल गांधी ने हिमाचल के CM सुक्खू को भेजा पत्र
Raj Rani|Updated: Apr 22, 2025, 12:45 PM IST
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Rohith Vemula Act: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को एक पत्र लिखकर राज्य में ‘रोहित वेमुला एक्ट’ लागू करने की मांग की है. उन्होंने इस पत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर भी साझा किया और जातीय भेदभाव के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता को दोहराया.

राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में लिखा
"जब तक हर छात्र को बिना भेदभाव के सम्मान, सुरक्षा और समान अवसर नहीं मिलेगा, तब तक हमारी शिक्षा व्यवस्था सभी के लिए न्यायपूर्ण नहीं हो सकती."
उन्होंने बताया कि इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को भी उन्होंने इसी विषय पर पत्र लिखा था और अब हिमाचल के साथ-साथ तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को भी यही आग्रह किया है.

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी हर बच्चे को शिक्षा तक समान पहुंच दिलाने और जातीय भेदभाव को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

क्या है ‘रोहित वेमुला एक्ट’?
‘रोहित वेमुला एक्ट’ एक प्रस्तावित कानून है जिसका उद्देश्य भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव, उत्पीड़न और संस्थागत असमानता को रोकना है। इस एक्ट का नाम रोहित वेमुला, हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एक दलित पीएचडी छात्र, के नाम पर रखा गया है। वर्ष 2016 में रोहित की आत्महत्या ने देशभर में संस्थागत भेदभाव के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया था।

यह एक्ट मुख्य रूप से अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अन्य वंचित वर्गों से आने वाले छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में समान, सुरक्षित और गरिमापूर्ण वातावरण प्रदान करने के लिए तैयार किया जा रहा है।

इस प्रस्तावित कानून के तहत
-उच्च शिक्षण संस्थानों में भेदभाव की निगरानी और उस पर सख्त कार्रवाई के प्रावधान होंगे,
-संस्थागत जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी,
-और छात्रों के मानसिक, शैक्षणिक और सामाजिक कल्याण की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे.

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