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Manmohan Singh Memorial Row: प्रणब मुखर्जी की बेटी ने मनमोहन सिंह स्मारक विवाद के बीच कांग्रेस की आलोचना की

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने दावा किया कि जब 2020 में प्रणब मुखर्जी का निधन हुआ तो कांग्रेस नेतृत्व ने कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा शोक सभा भी नहीं बुलाई.  

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Manmohan Singh Memorial Row: प्रणब मुखर्जी की बेटी ने मनमोहन सिंह स्मारक विवाद के बीच कांग्रेस की आलोचना की
Raj Rani|Updated: Dec 28, 2024, 08:28 AM IST
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Manmohan Singh Memorial Row: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के लिए एक अलग स्मारक बनाने के प्रस्ताव की आलोचना की है.

डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आयु संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे.

एक्स पर एक बयान में, उन्होंने दावा किया कि जब अगस्त 2020 में उनके पिता और पूर्व भारतीय राष्ट्रपति का निधन हुआ, तो कांग्रेस नेतृत्व ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा शोक सभा बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई.

उन्होंने उस दौरान कांग्रेस नेतृत्व पर इस मुद्दे पर उन्हें गुमराह करने का भी आरोप लगाया था. उनके अनुसार, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने उनसे कहा था कि यह भारतीय राष्ट्रपतियों के लिए नहीं है.

कांग्रेस नेता के इस तर्क को "पूरी तरह बकवास" करार देते हुए उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें अपने पिता की डायरियों से पता चला है कि एक अन्य पूर्व भारतीय राष्ट्रपति के.आर. नारायणन के निधन पर सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश का मसौदा किसी और ने नहीं बल्कि प्रणब मुखर्जी ने तैयार किया था.

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भाजपा के सी.आर. केसवन की एक पोस्ट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने बताया था कि किस तरह कांग्रेस ने पार्टी के अन्य राजनेताओं की सिर्फ इसलिए उपेक्षा की क्योंकि वे "गांधी" परिवार के सदस्य नहीं थे.

इस मुद्दे पर, 2004 से 2009 तक डॉ. सिंह के मीडिया सलाहकार रहे तथा फाइनेंशियल एक्सप्रेस के पूर्व प्रधान संपादक डॉ. संजय बारू द्वारा लिखित पुस्तक 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के एक अध्याय का संदर्भ दिया गया, जिसमें बताया गया था कि किस प्रकार कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव, जिनका 2004 में निधन हो गया था, के लिए दिल्ली में कभी कोई स्मारक नहीं बनवाया.

पुस्तक में यह भी उल्लेख किया गया है कि 2004 से 2014 तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ने कभी भी श्री राव के लिए कोई स्मारक नहीं बनवाया. डॉ. बारू ने अपनी पुस्तक में यह भी दावा किया था कि कांग्रेस चाहती थी कि श्री राव का अंतिम संस्कार नई दिल्ली में नहीं, बल्कि उनके पैतृक स्थान हैदराबाद में हो.

 

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