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Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ 15 दिन क्यों रहते हैं 'बीमार'? जानिए स्नान यात्रा के पीछे की आस्था और रहस्य

Jagannath Yatra 2025: स्नान पूर्णिमा पर पुरी में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का जलाभिषेक किया जाता है, जिसके बाद वे 15 दिनों तक ‘बीमार’ माने जाते हैं और इस अवधि में भक्त उनके दर्शन नहीं कर पाते. आइए जानते हैं इसके पीछे की आस्था और रहस्य-  

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Jagannath Rath Yatra 2025: भगवान जगन्नाथ 15 दिन क्यों रहते हैं 'बीमार'? जानिए स्नान यात्रा के पीछे की आस्था और रहस्य
Raj Rani|Updated: Jun 11, 2025, 01:40 PM IST
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Jagannath Rath Yatra 2025: पुरी (ओडिशा) स्थित श्री जगन्नाथ धाम में हर साल स्नान पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की भव्य स्नान यात्रा आयोजित होती है. यह परंपरा न केवल रथ यात्रा उत्सव की शुरुआत का संकेत देती है, बल्कि इसके बाद एक अत्यंत विशेष और रहस्यमयी अवधि भी शुरू होती है – जिसे ‘अनवसर काल’ कहा जाता है.

इस अवधि में भगवान 15 दिनों के लिए ‘बीमार’ हो जाते हैं और दर्शन बंद हो जाते हैं. भक्तों को इस दौरान उनके दर्शन नहीं होते, जिससे यह समय और भी पावन और रहस्यमय माना जाता है.

स्नान यात्रा: रथ यात्रा की शुरुआत का प्रतीक
स्नान यात्रा के दिन देवताओं को मंदिर परिसर के स्वर्ण कुएं से लाए गए 108 कलशों के जल से स्नान कराया जाता है. यह पवित्र अनुष्ठान सार्वजनिक रूप से किया जाता है और यह वर्ष का एकमात्र अवसर होता है जब तीनों देवताओं के एक साथ दर्शन होते हैं.

भगवान बीमार क्यों हो जाते हैं?
स्नान के बाद भगवान मानव रूप की तरह बीमार पड़ जाते हैं — यही अनवसर काल कहलाता है, मान्यता है कि:
-इतना अधिक जलस्नान करने से शरीर में सर्दी-जुकाम जैसा प्रभाव पड़ता है,
-देवताओं को नीम और जड़ी-बूटियों से बनी औषधियां दी जाती हैं,
-उन्हें एक विशेष कक्ष में रखा जाता है, जिसे 'अनवसरा गृह' कहते हैं,
-यहां वैद्य (देवताओं के चिकित्सक) उनकी सेवा करते हैं,
-यह परंपरा भगवान को मानव भाव से देखने की आस्था को दर्शाती है, जिससे भक्तों का उनसे भावनात्मक जुड़ाव और गहरा हो जाता है,

दर्शन क्यों नहीं होते?
इस दौरान देवताओं के दर्शन नहीं किए जा सकते, ताकि उन्हें पूरा आराम और उपचार मिल सके. यह चरण भक्तों को संयम, श्रद्धा और प्रतीक्षा की भावना से जोड़ता है.

रथ यात्रा कब होगी?
इस वर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून 2025 को आयोजित होगी.
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि – 26 जून दोपहर 1:25 बजे शुरू होकर, 27 जून सुबह 11:19 बजे तक रहेगी.

रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा विशाल रथों पर सवार होकर मौसी के घर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं. इसे देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी में एकत्र होते हैं.

भगवान जगन्नाथ का ‘बीमार पड़ना’ कोई शारीरिक अवस्था नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रतीक है – जिसमें ईश्वर की मानवीय संवेदनाओं को अनुभव किया जाता है. यह परंपरा भक्तों के विश्वास, श्रद्धा और भगवान से आत्मिक जुड़ाव की गहराई को दर्शाती है.

(Disclaimer- यह लेख आम जानकारी और सामान्य मानयताओं के आधार पर बनाया गया है.) 

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