Moorang Fort: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की ऊंची बर्फीली पहाड़ियों के बीच स्थित मूरंग किला सिर्फ पत्थरों की बनी एक इमारत नहीं, बल्कि सैकड़ों साल पुरानी कहानियों, मान्यताओं और परंपराओं का जीवंत प्रतीक है. यह किला समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां तक पहुंचना जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही आनंददायक भी.
मूरंग गांव में बसे बुजुर्ग इसे महाभारत काल से जोड़ते हैं. उनका मानना है कि इस स्थान का संबंध पांडवों से रहा है और यहां उन्होंने कभी समय बिताया था। वहीं, युवा पीढ़ी इसे प्राचीन राजाओं की राजधानी और प्रशासनिक केंद्र मानती है. यह मतभेद नहीं, बल्कि इस किले की समृद्ध बहुपक्षीय पहचान को दर्शाता है.
किले की दीवारें और संरचना आज भी उस समय की भव्यता की झलक देती हैं. यहां पर ओरमिक शू देवता का वास माना जाता है, जो स्थानीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. गांव के लोग देवता की मान्यता के अनुसार किले के प्रति श्रद्धा रखते हैं और इसे केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि एक जीवंत आस्था केंद्र मानते हैं.
करीब चार साल पहले तक यह ऐतिहासिक धरोहर जर्जर अवस्था में पहुंच गई थी. इसके पत्थर ढहने लगे थे और संरचना कमजोर हो चुकी थी. लेकिन अब सरकार और स्थानीय समुदाय के सहयोग से इसका जीर्णोद्धार कार्य तेज़ी से चल रहा है. विशेषज्ञ कारीगरों द्वारा पारंपरिक तकनीकों का उपयोग कर इसे पहले जैसी ही भव्यता देने का प्रयास किया जा रहा है.
मूरंग किला न केवल इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए एक रोमांचक स्थान है, बल्कि यह आज की पीढ़ी को अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़ने की प्रेरणा भी देता है. यह किला दर्शाता है कि समय भले ही बदल जाए, लेकिन जिन धरोहरों में आत्मा होती है, वे हमेशा जीवित रहती हैं.